Tuesday, December 29, 2015

कांग्रेस के मुखपत्र में पहले पीएम जवाहर लाल की हुई 'फजीहत': कंटेंट एडिटर बर्खास्त

कांग्रेस मुखपत्र ‘कांग्रेस दर्शन’ के लेख में जवाहर लाल नेहरू की कश्मीर, चीन और तिब्बत की नीति पर सवाल उठा कर और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पिता को फासीवादी सैनिक बताकर पार्टी के अंदर कोहराम मचा दिया है। कांग्रेस के 131वें स्थापना दिवस पर शर्मसार करने वाले इस लेख के प्रकाशित होने पर पत्रिका
के संपादक संजय निरुपम को माफी मांगनी पड़ी तो संपादकीय प्रभारी को बर्खास्त कर दिया गया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। भाजपा के लिए जो काम पांचजन्य व ऑर्गेनाइजर जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र कई बार लिखकर नहीं कर सके, वह काम मुंबई कांग्रेस के मुखपत्र ‘कांग्रेस दर्शन’ ने कर दिखाया। 
अलग-अलग लेखों में सोनिया गांधी से लेकर नेहरू तक पर ऐसी टिप्पणियां की गई हैं कि जो विरोधी दलों द्वारा भी संभवत: कम ही की जाती हैं। पत्रिका के संपादक संजय निरुपम के माफी मांगने और ‘कंटेट एडीटर’ सुधीर जोशी नामक को हटा देने भर से उनकी मुसीबतें कम होती नहीं दिख रहीं। क्योंकि पत्रिका के जिन लेखों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके पिता स्टीफैनो, या पंडित नेहरू पर टिप्पणियां की गई हैं, उनके लेखक के रूप में कहीं भी सुधीर जोशी या किसी अन्य लेखक का नाम नहीं दिया गया है।
  • 13 नवंबर को सरदार पटेल ने सोमनाथ के भग्न मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया, जो पंडित नेहरू के तीव्र विरोध के पश्चात भी बना।
  • जहां तक कश्मीर रियासत का प्रश्न है, इसे पंडित नेहरू ने स्वयं अपने अधिकार में लिया था। परंतु यह सत्य है कि सरदार पटेल कश्मीर में जनमत संग्रह तथा कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाने पर बेहद क्षुब्ध थे।
  • विदेश विभाग पंडित नेहरू का कार्यक्षेत्र था, परंतु कई बार उप प्रधानमंत्री होने के नाते कैबिनेट की विदेश विभाग समिति में पटेल का जाना होता था। उनकी दूरदर्शिता का लाभ यदि उस समय लिया जाता तो अनेक वर्तमान समस्याओं का जन्म न होता।
  • सोनिया गांधी के पिता स्टेफिनो मायनो एक भूतपूर्व फासिस्ट सिपाही थे। वह मुसोलिनी की सेना में थे, जो रूसी सेना से हार गई थी।
  • सोनिया से राजीव गांधी का विवाह 1968 में हुआ, जिसके बाद वह भारत में रहने लगीं। राजीव गांधी से विवाह होने के काफी समय बाद, 1983 में इन्होंने भारतीय नागरिकता स्वीकार की।
  • सोनिया ने 1997 में कोलकाता के प्लेनरी सेशन में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की और महज 62 दिनों के अंदर सन् 1998 में कांग्रेस की अध्यक्ष चुन ली गईं। उन्होंने सरकार बनाने की कोशिश भी की।

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साभारजागरण समाचार 
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