अब गर्भवती महिलाओं के मोबाइल पर हर हफ्ते एक "किलकारी' सुनाई देगी। जो उन्हें सेहत का ध्यान रखने का संदेश देगी। दरअसल, केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जच्चा और बच्चा को एक तोहफा दिया है। इसमें प्रेग्नेंट महिला के मोबाइल पर हर हफ्ते करीब दो मिनट की एक ऑडियो कॉल आएगी। जिसे सुनकर वह प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद में बरती जाने वाली आवश्यक सावधानियों के बारे में जान सकती हैं। इससे
वह स्वयं और बच्चे का उचित ख्याल रख सकेगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। प्रेग्नेंसी के चार महीने होने पर नियमित अंतराल पर कॉल आनी शुरू हो जाएगी। प्रसव के बाद शिशु के एक साल का होने तक कॉल आती रहेगी। इसके लिए महिला को बस एक टाेल फ्री नंबर पर कॉल कर अपना नाम और मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड कराना होगा।
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऑडियो मोबाइल सेवा शुरू की है। इससे हर साल करीब दो करोड़ महिलाओं और इतने ही बच्चों को फायदा मिलेगा। टाटा कंसल्टेंसी सर्विस (टीसीएस)ने इसे तैयार किया है। यह बिल्कुल मुफ्त सेवा है। इसके माध्यम से प्रत्येक प्रेग्नेंट महिला और पैदा होने वाले नवजात को मदर एण्ड चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम (एमसीटीएस) में रजिस्टर्ड किया जाता है। यह एक वेब आधारित सिस्टम है, जो प्रेग्नेंट महिला को प्रसव के पहले और बाद में मॉनीटर कर सेहत के बारे में उचित सलाह देता है। बच्चे की देखभाल के बारे में भी मां को आवश्यक सुझाव देता है। हर कॉल में बारीकी से बताया जाता है कि मां और बच्चे को कौन-कौन सा टीका कब लगना है। जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए क्या सावधानी बरती जानी है। ग्रामीण इलाकों में जिन महिलाओं के पास मोबाइल नहीं होगा, उन्हें भी इस सेवा का लाभ परिवार के सदस्य या आशा कार्यकर्ता के माध्यम से दिया जाएगा।
फिलहाल यह सेवा तीन भाषाओं में शुरू की गई है, इसमें हिंदी, उड़िया और अंग्रेजी शामिल है। पहले चरण में इसे झारखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा, उत्तराखंड में शुरू किया गया है। जल्द ही इसे अन्य राज्यों भाषाओं में उपलब्ध करा दिया जाएगा। सेवा को सफल बनाने के लिए 90 लाख आशा कार्यकर्ता को ट्रेनिंग दी जाएगी।
फिलहाल यह सेवा तीन भाषाओं में शुरू की गई है, इसमें हिंदी, उड़िया और अंग्रेजी शामिल है। पहले चरण में इसे झारखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा, उत्तराखंड में शुरू किया गया है। जल्द ही इसे अन्य राज्यों भाषाओं में उपलब्ध करा दिया जाएगा। सेवा को सफल बनाने के लिए 90 लाख आशा कार्यकर्ता को ट्रेनिंग दी जाएगी।
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साभार: भास्कर समाचार
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