मोदी सरकार ने सौर ऊर्जा के लक्ष्य हासिल करने की विशेष मुहिम के तहत देश भर में सौर ऊर्जा संयंत्र प्रणाली स्थापित करने के लिए 5000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। इस प्रणाली को राष्ट्रीय सौर अभियान (एनएसएम) के तहत पांच साल में यानी वर्ष 2019-20 तक पूरा कर लेने का लक्ष्य है। इससे देश में अगले पांच साल में सोलर रूफटॉप सिस्टम लगा कर छतों पर 4,200 मेगावॉट सौर बिजली बनाने में मदद मिलेगी।
यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सरकार अगर यह लक्ष्य हासिल कर लेती है तो 40 गीगावॉट सौर बिजली के उत्पादन से प्रति वर्ष वातावरण से 6 करोड़ टन कार्बनडाइआक्साइड गैस (सीओ2) को हर साल कम किया जा सकेगा। इससे विश्व में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रोकने में भारत योगदान दे सकेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने बुधवार को ग्रिड से जुड़ी सोलर रूफटॉफ प्रणाली को स्थापित करने के लिए बजट 600 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5000 करोड़ रुपये कर दिया है। लिहाजा, अब अपने घरों की छतों पर सोलर रूफटॉफ प्रणाली स्थापित करने से मात्र 6.50 रुपये में प्रति किलो वॉट सौर ऊर्जा से बिजली संभव है। पर्यावरण के लिए वरदान यह बिजली सस्ते डीजल जेनसेट से लेकर डिस्कॉम कंपनियों की बिजली से काफी सस्ती है। इस प्रणाली को स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार सामान्य श्रेणी के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कीमत में 30 फीसद की छूट देगी। वहीं, विशेष राज्यों जैसे- सिक्किम समेत पूवरेत्तर के राज्य, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लक्ष्यद्वीप और अंडमान व निकोबार को 70 फीसद की छूट मिलेगी। निजी क्षेत्रों के वाणिज्यिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को कोई छूट नहीं दी जाएगी। वह कस्टम ड्यूटी और अन्य करों में छूट ले सकेंगे। सौर ऊर्जा से 4,200 मेगावॉट बिजली रिहायशी, सरकारी, सामाजिक और संस्थागत क्षेत्रों (अस्पताल, शिक्षण संस्थान आदि) के लिए होगी।
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साभार: जागरण समाचार
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