Thursday, December 24, 2015

बात क़ानून की: विकलांगों को प्राप्त हैं ये अधिकार

नंदिता झा, हाईकोर्ट एड्वोकेट, दिल्ली 

हमारे देश में करीब 2.13 फीसदी आबादी विकलांगता से ग्रसित है। यह आबादी करीब-करीब सवा दो करोड़ है। विकलांगों की आबादी में पुरुषों की संख्या महिलाओं से अधिक है। 75 फीसदी विकलांग आबादी गांवों में रहती है। आंकड़े यह भी बताते हैं कि देश में पांच प्रकार की निशक्तता या विकलांगता है। इसमें दृष्टि से संबंधित असमर्थता से पीड़ितों की संख्या सर्वाधिक यानी 48.5 फीसदी के आसपास है, जबकि पैरों से संबंधित
विकलांगता 27.9, मानसिक विक्षिप्तता 10.3 फीसदी, बोलने से लाचार की 7.5, श्रवणबाधित 58 फीसदी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। विकलांगों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट और देशभर की हाईकोर्ट ने कई अहम फैसले दिए हैं, जिससे उन्हें पर्याप्त अधिकार मिले। कोर्ट ने यह कानून बनाया है कि विकलांग बच्चों को 18 वर्ष की उम्र तक मुफ्त और आवश्यक रूप से शिक्षा दी जाए। अदालत के कारण ही यह संभव हो सका कि कई विकलांग भारतीय सिविल सेवा में अहम पदों पर पहुंच पाए। 2004 में सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले मनीराम शर्मा को छह साल की कानूनी लड़ाई के बाद पीएमओ ने मेरिट के आधार पर नियुक्ति दी, क्योंकि आईएएस में बधिरों के लिए स्थान नहीं था। 
संयुक्त राष्ट्र संघ ने विकलांग और नि:शक्तजन की समस्याओं पर विशेष ध्यान देने के लिए 1982 से दस साल विकलांगों के लिए मनाए। इसके बाद भारत में 1995 में विकलांग व्यक्ति अधिनियम पारित हुआ। इसके तहत विकलांग और नि:शक्तजनों के लिए समान अवसर, अधिकार, सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करने में मदद मिली। इसी से नि:शक्तजनों को कानूनी सुरक्षा मिल सकी। इसी कानून के कारण विकलांगों की शिक्षा, रोजगार, अवरोधमुक्त वातावरण, सामाजिक सुरक्षा जैसे उपाय किए गए। इसी अधिनियम के अनुच्छेद 26 में विकलांग बच्चों को 18 वर्ष की उम्र तक अनिवार्य शिक्षा तथा मुफ्त शिक्षा का प्रावधान किया गया है। 
दृष्टि से कमजोर व्यक्ति के लिए पाठक भत्ता, होस्टल भत्ता, यंत्र उपकरण आदि के लिए पूरी वित्तीय सहायता तथा छात्रवृति आदि की भी व्यवस्था है। व्यावसायिक प्रशिक्षण और लाभकारी रोजगार आदि देने की भी व्यवस्था है। इसके लिए तीन प्रतिशत आरक्षण की भी व्यवस्था है ताकि इन्हें सार्वजनिक क्षेत्र में नौकरी मिल सके। 
विभिन्न मंत्रायलों विभागों में विकलांग लोगों के लिए आरक्षण की स्थिति इस प्रकार है- समूह ए, बी, सी, डी के लिए सरकार ने क्रमश: 3.07, 4.41, 3.76 फीसदी तथा 3.18 फीसदी आरक्षण दिया है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में यह स्थिति ऐसी है- समूह-2.78 फीसदी, बी-8.54, सी- 5.04 और डी- 6.75 फीसदी है। वर्ष 2006 में सरकार ने विकलांगों के लिए राष्ट्रीय नीति निर्माण का कार्य भी किया तथा 2007 में संयुक्त राष्ट्र संघ के विकलांग के लिए अधिकार सभा के घोषणा पत्र पर भी भारत सरकार ने हस्ताक्षर किए। विकलांग अधिनियम में अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप बदलाव किया जा रहा है। प्रस्तावित संशोधनों में ऑटिज़्म जैसी बीमारियों को इसमें लाया जाएगा।
विकलांगों के लिए कई योजनाएं और छूट के प्रावधान भी किए गए हैं। इन लोगों के लिए सहायक उपकरण, छात्रवृत्ति, आर्थिक सहायता अन्य कदम हैं। इसके अलावा एडीआईपी योजना के तहत उपकरण खरीदने के लिए इन्हें सहायता जी जाती है। स्वैच्छिक सेवा को प्रोत्साहित करने के लिए दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना है। विकलांगों के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया जाता है। निजी क्षेत्रों में भी विकलांगों के लिए रोजगार योजनाएं हैं। इन्हें नौकरी और ट्रेनिंग के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित किया जाता है। इनके लिए यात्रा भत्ता तथा समान बीमा लाभ की भी व्यवस्थाएं हैं। 

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साभारभास्कर समाचार 
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