केंद्र सरकार से जुड़े आइएएस अधिकारियों को अब प्रधानमंत्री की मंजूरी के बिना निलंबित नहीं किया जा सकेगा। नौकरशाही को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त रखने के लिए केंद्र सरकार ने अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की नियमावली में संशोधन का फैसला लिया है। माना जा रहा है कि अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) संशोधन नियम-2015 लागू होने के बाद केंद्र सरकार को सेवा दे रहे अधिकारी ज्यादा निडर होकर काम कर सकेंगे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। नए नियम में राज्यों में काम कर रहे भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा और वन सेवा के अधिकारियों को भी राहत दी गई है। इसके तहत यदि कोई राज्य सरकार अखिल भारतीय सेवा के किसी अधिकारी को निलंबित करती है, तो 48 घंटे के भीतर इसकी जानकारी केंद्र सरकार को देनी होगी। राज्य सरकारों को निलंबन आदेश के साथ-साथ केंद्र को इसका कारण भी बताना होगा। प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के निलंबन की जानकारी कार्मिक मंत्रलय को देनी होगी। आइपीएस के मामले में गृह मंत्रलय और वन सेवा के अफसर के निलंबन की जानकारी वन मंत्रलय को देनी होगी। इसके अलावा राज्य सरकारों को 15 दिनों के भीतर केंद्र सरकार को विस्तृत रिपोर्ट भी देनी होगी। मौजूदा समय में इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।
अशोक खेमका, दुर्गाशक्ति नागपाल व कुलदीप नारायण जैसे अधिकारियों को जिस तरह मनमाने ढंग से निलंबित और स्थानांतरित किया गया, उसे देखते हुए केंद्र के इस फैसले को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कार्मिक और लोक शिकायत विभाग के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि नए नियमों से ईमानदार अधिकारियों को प्रोत्साहन मिलेगा और सबके लिए न्याय सुनिश्चित हो सकेगा।
यह होगी निलंबन प्रक्रिया:
- केंद्र सरकार में काम कर रहे आइएएस अधिकारी को केंद्रीय समीक्षा समिति की सिफारिश के आधार पर निलंबित किया जा सकेगा।
- नए नियमों के अनुसार, इसके लिए कार्मिक विभाग के प्रभारी मंत्री की मंजूरी जरूरी होगी।
- चूंकि खुद प्रधानमंत्री कार्मिक विभाग के प्रभारी होते हैं, इसलिए उनकी मंजूरी के बिना किसी अधिकारी का निलंबन नहीं होगा।
- केंद्रीय समीक्षा समिति में तीन सदस्य होंगे। कार्मिक विभाग के सचिव इस समिति के अध्यक्ष होंगे।
- केंद्र और राज्यों में नियुक्त अधिकारियों के निलंबन की समय सीमा तीन महीने से घटाकर दो महीने कर दी गई है।
- इसके बाद किसी अधिकारी का निलंबन सिर्फ चार महीने के लिए बढ़ाया जा सकेगा। अभी यह समय सीमा छह महीने की है।
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साभार: जागरण समाचार
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