Monday, December 28, 2015

हरियाणा कैबिनेट की बैठक 29 को, हो सकते हैं अहम फैसले

हरियाणा की भाजपा सरकार इस साल के जाते-जाते कई अहम फैसले करने की तैयारी में है। मंगलवार को होने वाली प्रदेश मंत्रिमंडल की साल की आखिरी बैठक ये फैसले लिये जा सकते हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हाल ही में पीजीआइ में अपनी नाक का ऑपरेशन कराया है। डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है।
मुख्यमंत्री के सोमवार से नियमित रूप से काम करने की संभावना है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 29 दिसंबर को मंत्रिमंडल की मीटिंग से पहले मुख्यमंत्री हर मंगलवार होने वाली मंत्री समूह की औपचारिक बैठक भी ले सकते हैं। मंत्री समूह की बैठक में उन तमाम फैसलों पर चर्चा की जाएगी, जो मंत्रिमंडल की बैठक में विधिवत लिए जाने हैं। मंत्रिमंडल की बैठक में आधा दर्जन फैसले लिए जा सकते हैं। इनमें शहरी निकाय चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू करने का निर्णय इस साल का दूसरा बड़ा निर्णय होगा। पंचायत चुनाव में उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता दसवीं पास है, लेकिन निकाय चुनाव में सरकार इसे बढ़ाकर 12वीं करने जा रही है। पंचायत की तरह निकाय चुनाव लड़ने वालों के लिए भी बिजली व सहकारी विभाग के बकायादारों तथा आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक रहेगी। कैबिनेट में हरियाणा खेल परिषद के गठन को मंजूरी मिल सकती है। पंचकूला में हुए खिलाड़ियों के पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्यमंत्री तथा खेल मंत्री ने इसका संकेत दिया था। बैठक में खेल परिषद के प्रारूप, कार्य और अधिकार क्षेत्र के बारे में नियमों को मंजूरी मिलेगी। वाहनों का प्रदूषण नियंत्रित करने तथा हरियाणा के वाहनों का दिल्ली में चालान कटने से रोकने के उद्देश्य के मद्देनजर पॉल्यूशन सर्टिफिकेट की फीस बढ़ाकर चार गुणा तक की जा सकती है। अभी तक किसी भी पॉल्यूशन जांच केंद्र से 25 रुपये में सर्टिफिकेट मिल जाता है, लेकिन इसे बढ़ाकर सौ रुपये किया जा सकता है, ताकि लोगों में इस सर्टिफिकेट के प्रति गंभीरता बनी रहे। बैठक में आबकारी एवं कराधान विभाग की खुद की पुलिस के गठन को मंजूरी मिल सकती है। हालांकि पंजाब पुलिस नियमों के मुताबिक कोई राज्य अथवा अलग से पुलिस का गठन नहीं कर सकता। इसके लिए पूरे कानून में बदलाव का प्रावधान है। इसलिए कुछ मंत्रियों को पुलिस शब्द पर आपत्ति है। पिछली चौटाला सरकार में भी औद्योगिक सुरक्षा बलों के जवानों की नियुक्तियां की गई थी, जिन्हें हुड्डा सरकार ने हटा दिया था। नियुक्तियां और उन्हें खारिज करने के भले ही राजनीतिक कारण रहे हैं, लेकिन औद्योगिक सुरक्षा बल का गठन करते समय पुलिस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया। इस फोर्स के गठन में पंजाब पुलिस नियमों की पूरी तरह से अनुपालना हुई। बैठक में अगर पुलिस शब्द पर कोई पेंच नहीं फंसा तो आबकारी एवं कराधान विभाग की अलग पुलिस फोर्स काम करेगी। बैठक में करीब आधा दर्जन विभागीय रिपोर्ट को मंजूरी मिलने की संभावना है। 
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साभारजागरण समाचार 
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