अब पढ़े-लिखे लोग ही गांव की सरकार के मुखिया बन
सकेंगे। राज्य सरकार ने सरपंच और पंच का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों का
दसवीं पास होना अनिवार्य कर दिया है। देश में राजस्थान के बाद हरियाणा
दूसरा राज्य बन गया है, जहां पंचायत चुनाव के प्रत्याशियों की न्यूनतम
शैक्षणिक योग्यता तय की गई है। महिला और
अनुसूचित जाति के प्रत्याशियों का आठवीं पास होना जरूरी है। इतना ही नहीं
सहकारी बैंकों के कर्ज और
बिजली बिल का भुगतान नहीं करने वाले लोग भी चुनाव
नहीं लड़ सकेंगे। दस साल तक सजा वाले अपराध में चार्जशीटेड व्यक्ति भी
चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। मुख्यमंत्री खट्टर ने 16 अगस्त से शुरू हो रहे
विदेश दौरे से पहले मंगलवार को मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा पंचायती राज
अधिनियम 1994 को संशोधित करने का फैसला लिया। प्रत्याशियों के लिए यह भी
शर्त लगा दी गई है कि उनके घरों में शौचालय बना होना चाहिए। फैसले ने उन
उम्मीदवारों की नींद उड़ा दी है, जो इसी माह प्रस्तावित चुनाव के लिए अपनी
जमीन बनाने में जुटे हैं, लेकिन महज साक्षर हैं या आठवीं तक ही पढ़े हैं। खट्टर सरकार द्वारा पढ़े-लिखे प्रत्याशी की शर्त
लगाए जाने के पीछे एक कारण यह भी है कि भाजपा शिक्षित युवा वर्ग को
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित मान रही है। सरकार का दावा है कि यह
संशोधन पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों को और अधिक
जवाबदेह बनाएगा क्योंकि वे अब निरक्षरता का लाभ नहीं उठा सकेंगे। खट्टर
सरकार द्वारा पढ़े-लिखे प्रत्याशी की शर्त लगाए जाने के पीछे एक कारण यह
भी है कि भाजपा शिक्षित युवा वर्ग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से
प्रभावित मान रही है। सरकार का दावा है कि यह संशोधन पंचायती राज संस्थाओं
के निर्वाचित प्रतिनिधियों को और अधिक जवाबदेह बनाएगा क्योंकि वे अब
निरक्षरता का लाभ नहीं उठा सकेंगे।
बकाया वसूली का दांव: राज्य
में विद्युत निगम के उपभोक्ताओं पर करोड़ों रुपये बकाया है और तमाम
प्रयासों के बावजूद वसूली नहीं हो रही। ऐसे में पंचायत चुनाव लड़ने वाले
उम्मीदवारों पर बिजली बिल राशि बकाया न हो का प्रावधान जोड़कर सरकार ने
बकाया वसूली का भी एक दांव खेला है और एक संदेश देने का प्रयास किया है कि
बकायादार चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। ऐसे ही हाल सहकारी बैंकों के है, जिनका
उपभोक्ताओं पर अरबों का कर्ज बकाया है।
विकास के द्वार खुलेंगे , युवाओं को मौका:
शैक्षणिक योग्यता तय करने से मुखिया पढ़े-लिखे लोग होंगे। सरकारी योजनाओं
को समझने और उन्हें लागू करने में किसी अन्य पर निर्भरता खत्म होगी। महिला
जनप्रतिनिधि पढ़ी लिखी होगी तो सत्ता में उनकी सीधी भागीदारी बढ़ेगी। पढ़े
लिखे लोग सूचना के आधुनिकतम संसाधनों और दैनिक कामकाज में लगातार बढ़े रही
कम्प्यूटरीकृत प्रणाली का बेहतरी से उपयोग कर सकेंगे। अब तक गांवों में
60-70 फीसदी सरपंच वे लोग बनते आए हैं, जो निरक्षर हैं या प्राइमरी तक पढ़े
लिखे हैं। अब इन परिवारों के पढ़े-लिखे युवा आगे आएंगे।
फर्जीवाड़े की आशंका भी: निर्धारित शैक्षिक योग्यता नहीं रखने वालों के आसपास के राज्यों से फर्जी
सर्टिफिकेट लाकर चुनाव लड़ने के मामले सामने आने की आशंका है। राजस्थान में
भी ऐसा ही हुआ। वहां जीते प्रत्याशियों के फर्जी सर्टिफिकेट के 1025 मामले
दर्ज हुए। 1036 पंच और सरपंच और 32 पंचायत और जिला परिषद सदस्य ऐसे पाए
गए, जिन्होंने फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों का उपयोग किया।
- पंचायती राज संस्थाओं में नेतृत्व और शासन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तय करना जरूरी था। इसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे। -मनोहरलाल खट्टर, मुख्यमंत्री
- पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता का फैसला फिलहाल ठीक नहीं है। इसके लिए कम से कम चार-पांच साल का समय दिया जाना चाहिए था। सरकार पहले पढ़ाए और उसके बाद ऐसा नियम लागू करे।- भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री
- खट्टर सरकार ने पंचायत चुनावों से बचने के लिए यह फैसला लिया है। सरकार जानती है कि इस फैसले को अदालत में चुनौती दी जाएगी और चुनाव का मामला कोर्ट में लटक जाएगा। -अभय चौटाला, इनेलो
Post
published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: अमर उजाला समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE . Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.