स्कूल शिक्षा निदेशक ने प्रदेश के तीन आरोही स्कूलों की प्रिंसिपलों को भर्ती के दौरान फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र देने पर शोकाज नोटिस जारी किया है। विभाग ने नियुक्ति के दौरान कागजातों की जांच पड़ताल करने वाली स्क्रूटनी कमेटी के सदस्यों से भी जवाब मांगा है। स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर आलोक वर्मा ने कहा कि जांच पूरी हो चुकी है, आगे की कार्रवाई शिक्षा विभाग को करनी है। अर्बन एस्टेट निवासी जगदीश ने 30 मार्च 2015 को सीएम विंडो पर शिकायत देकर आरोप लगाए थे कि फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों के आधार पर आरोही स्कूलों में प्रिंसिपल लगाए गए हैं, जिनकी जांच की जाए। उन्होंने आरोप लगाया था कि आरोही स्कूल हसनपुर (जींद) में कार्यरत प्रिंसिपल ममता शर्मा मोतीलाल स्कूल में बतौर पीजीटी कार्यरत थी, लेकिन अनुभव उप प्राचार्य का दिखाया गया था, जिसे एसपीडी ने जांच रिपोर्ट में कहा है कि स्कूल हाजिरी रजिस्टर में ममता शर्मा को पीजीटी कैमेस्ट्री के पद पर दिखाया गया है तथा पे-बिल रजिस्टर में भी उसे पीजीटी कैमेस्ट्री दिखाया गया है। अनुभव प्रमाण पत्र में उप प्राचार्य का अतिरिक्त कार्यभार दर्शाया है। आरोही स्कूल कालुवास (सिरसा) में नियुक्त प्रिंसिपल नीता नागपाल ने नियुक्ति पाने के लिए दो-दो घोषणा पत्र विभाग को दिए, जो 19 फरवरी 2013 व 29 अप्रैल 2013 को दिए गए, जिसमें उसने अपने अनुभव प्रमाण पत्र अलग-अलग दिखाए। जांच रिपोर्ट में एसपीडी ने स्पष्ट किया है कि पे-बिल और स्कूल हाजिरी रजिस्टर में कटिंग की गई है और स्कूल रिकार्ड में अधिकतर जगह उसे टीजीटी दिखाया गया है और कटिंग करके वाइस-प्रिंसिपल दिखाया गया है। नीता नागपाल अनुभव प्रमाणपत्र स्कूल के रिकार्ड से मेल नहीं खाया। इसी प्रकार आरोही स्कूल घिराय (हिसार) में कार्यरत प्रिंसिपल डॉ. रमनजीत कौर के पास एक ही समय में दो शिक्षा संस्थाओं में कार्यरत का अनुभव प्रमाण पत्र है। इसमें से एक सेठ बनारसी दास कॉलेज कुरुक्षेत्र में उप प्राचार्य के पद का तथा दूसरा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के बीएड कॉलेज में लेक्चरार के पद का अनुभव प्रमाण पत्र भी है। आरोही प्रिंसिपल पद के विज्ञापन में स्कूल टीजीटी/मास्टर/उप प्राचार्य/हैडमास्टर का कुल आठ साल के अनुभव में दो साल का प्रशासनिक अनुभव की योग्यता मांगी थी, लेकिन डॉ. रमनजीत कौर ने अपने आवेदन में बीएड कॉलेज का अनुभव प्रमाण लगाया जबकि विज्ञापन में कहीं भी बीएड कॉलेज अनुभव नहीं मांगा गया था। अपनी जांच रिपोर्ट एसपीडी ने भी इसे सही माना है और डॉ. रमनजीत द्वारा दिए गए अनुभव प्रमाण पत्रों को फर्जी करार दिया है। साथ ही उसे नियुक्ति के समय प्रिंसिपल पद के लिए अयोग्य करार दिया है।
स्क्रूटनी कमेटी को दिए गए नोटिस: स्कूल शिक्षा निदेशक ने इन तीनों प्रिंसिपलों की नियुक्ति से पूर्व कागजातों की जांच के लिए तीन स्क्रूटनी कमेटी भी बनाई थी, लेकिन तीनों कमेटियों में शामिल सदस्यों ने कागजातों पर ध्यान न देकर इनकी नियुक्ति कर दी। कमेटी नंबर एक में पंचकूला के रायपुर रानी ब्लाक के तत्कालीन बीईओ ईश्वर सिंह नैन, बीईईओ महा सिंह संधू, पंचकूला के कर्णपुर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल कर्मवीर थे। इसी प्रकार से दूसरी कमेटी में कैथल के बीईओ शमशेर सिंह सिरोही, कैथल के सीवन ब्लाक के बीईईओ साहब सिंह, कैथल के नरड़ स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल रामभगत तथा तीसरी कमेटी में कुरुक्षेत्र के थानेसर ब्लाक के बीईओ अरुण आसरी, शाहबाद ब्लाक के बीईओ सतनाम सिंह तथा पंचकूला के कर्णपुर स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के अंग्रेजी प्रवक्ता चुघ शामिल थे।
चल रही कार्रवाई: सीएम पोर्टल से निकाले गए स्टेट्स में शिक्षा विभाग के आरोही इंचार्ज रजनीश के हस्ताक्षरयुक्त जवाब में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने इस मामले में आर्डर जारी कर दिए हैं और जिनके खिलाफ शिकायत की गई हैं, उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।
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साभार: जागरण
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