पंचायत चुनाव में सरपंच पद की उम्मीदवारी के लिए
दसवीं पास की शर्त पर पक्की मुहर लगाने के लिए हरियाणा सरकार ने एक्ट लागू
करने का निर्णय लिया है। इसके लिए सरकार आगामी मानसून सत्र के दौरान
विधानसभा में प्रस्ताव लाएगी। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में शुक्रवार को
शैक्षणिक योग्यता तय करने पर रोक संबंधी मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी
वकील ने हाईकोर्ट में यह जानकारी दी। जस्टिस एसके
मित्तल व एमएस चौहान की
डिवीजन बेंच ने शैक्षणिक योग्यता पर रोक बरकरार रखते हुए सरकार व
याचिकाकर्ता को अंतिम बहस करने को कहा है। इस मामले में आगामी सुनवाई 14
सिंतबर तय की गई है। सरकारी वकील ने कहा
कि सरकार दो सितंबर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान चुनाव में
शैक्षिक योग्यता की शर्त पर बिल लाएगी। हाईकोर्ट ने पिछले शुक्रवार को इस शर्त पर रोक लगाते हुए जवाब मांगा था।
हिसार के गांव मुल्कान की वेदवंती ने एडवोकेट मनजीत सिंह के माध्यम से
याचिका दायर कर कहा था कि सरकार ने पंचायतीराज एक्ट 1994 में संशोधन के लिए
अध्यादेश जारी करउसे और उसके जैसे अन्य कई व्यक्तियों को सरपंच का चुनाव
लड़ने के मामले में अयोग्य करार दिया है। इस अध्यादेश में पुरुष वर्ग के
लिए 10वीं और महिला तथा अनुसूचित जाति के लिए आठवीं की शैक्षणिक योग्यता
निर्धारित करना गलत है। रिप्रजेंटेटिव ऑफ पब्लिक सर्विस एक्ट में चुनाव
लड़ने की कोई न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता का प्रावधान नहीं है। पिछले लंबे
समय से पंचायतीराज एक्ट के तहत भी ऐसा कोई प्रावधान तय नहीं किया गया।
एक्ट बनने से पूर्व चुनौती की तैयारी: अध्यादेश
के संबंध में छह महीने के दौरान विधानसभा में प्रस्ताव पारित करवाना
अनिवार्य होता है। अन्यथा वह अपने आप निरस्त हो जाता है। सरकार सरपंच पद के
लिए शैक्षणिक योग्यता तय करने के लिए दो सितंबर से शुरू होने वाले विस
सत्र में प्रस्ताव लाने जा रही है, ताकि इस मामले में एक एक्ट बनाया जा
सके। हालांकि वकीलों ने एक्ट को चुनौती देने की तैयारी कर ली है।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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