देश का संविधान भले ही हर नागरिक को अभिव्यक्ति
की आजादी देता हो, लेकिन सामाजिक तौर पर देश की आधी आबादी को अभी तक यह
अधिकार नहीं मिल सका है। हरियाणा शिक्षा विभाग ने इस गतिरोध को तोड़ने का
प्रयास करते हुए बेटियों के लिए ऐसी योजना बनाई है कि वे खुलकर अपने मन की
बात कह सकें। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव
टीसी गुप्ता के दिशा-निर्देश में विभाग ने सभी स्कूलों में बालिका मंच
स्थापित करने
का फैसला किया है। इन मंचों के जरिए स्कूली छात्राओं
को मानसिक सबलता प्रदान करते हुए उनमें आत्मविश्वास जगाया जाएगा। इन
मंचों पर छात्राओं को खुलकर अपनी बात रखने और उनसे जुड़े सवालों पर
तार्किक मंथन करने का अवसर मिलेगा। विभाग के अनुसार, यह मंच छात्राओं को
बिना हिचकिचाहट अपने विचार व्यक्त करने का और बेबाकी से मन की
बातें कहने की छूट देगा ताकि बालिकाओं के मन में उठने
वाली शंकाओं, भ्रांतियों, समस्याओं को दूर किया जा सके। उस कार्य में
बालिकाओं को स्कूल की अध्यापिकाओं और प्रिंसिपल का पूरा सहयोग मिलेगा। हरियाणा
स्कूल शिक्षा परियोजना में पैडागोजी सलाहकार कल्पना ने बताया कि स्कूलों
में बालिका मंच की स्थापना किशोरियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से
की जा रही है। मंच के जरिए बालिकाएं
सामूहिक चर्चा में हिस्सा लेकर जान सकेंगी कि उनकी समस्या केवल उनकी ही
नहीं है बल्कि अन्य बालिकाओं की भी है। इस तरह सब मिलकर समस्याओं के
निराकरण का खुलकर हल ढूंढ सकेंगी और अपनी योग्यता व क्षमताओं का प्रदर्शन
कर सकेंगी।
ऐसा होगा बालिका मंच: स्कूलों
में छठी से आठवीं और नौवीं से दसवीं की छात्राओं के अलग समूह बनाए जाएंगे।
हर समूह में पांच छात्राएं होंगी, जिनमें से दो अपने समूह में सबसे बड़ी
कक्षा की होंगी। समूह अपनी अध्यापिका के निर्देशन में काम करेंगे जो मैंटर
कहलाएंगी। प्रेरक छात्राओं का सीधा संपर्क अपनी मैंटर और स्कूल मुखिया से
रहेगा। मैंटर की नियुक्ति स्कूल मुखिया करेंगे।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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