स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट को गलत बताते हुए
हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से हजारों छात्रों के दसवीं के
सर्टिफिकेट रद करने और उनके खिलाफ कार्रवाई के मामले में सरकार वीरवार को
अपनी प्रतिक्रिया नहीं दे पाई। याचिकाकर्ता छात्रों ने कहा था कि उन्होंने
ओपन प्रणाली के तहत दसवीं की परीक्षा दी थी, ऐसे में स्कूल लीविंग
सर्टिफिकेट की जरूरत ही नहीं थी। शिक्षा
बोर्ड ने स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट्स की पड़ताल के बाद हजारों छात्रों को
उनके स्कूलों के माध्यम से सूचित कर दसवीं के सर्टिफिकेट जमा कराने को कहा
था। कहा गया था कि उनके स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट पर जिला शिक्षा अधिकारियों
के हस्ताक्षर नहीं है, इसलिए इन सर्टिफिकेट को वैध नहीं माना जा सकता,
लिहाजा उनका दसवीं का परिणाम रद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को निर्देश
दिए गए थे कि ऐसे छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएं, अन्यथा उनकी
मान्यता रद कर दी जाएगी। करीब छह सौ
छात्रों ने एडवोकेट आरएस बैंस के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी
कि दो साल बाद परिणाम रद्द करना गलत है। वह भी उस वक्त जब छात्र 12वीं की
परीक्षा मेें बैठने जा रहे हैं। यह भी कहा था कि इन छात्रों ने ओपन स्कूल
प्रणाली के तहत परीक्षा दी थी। इस प्रणाली के तहत तय न्यूनतम उम्र सीमा से
ऊपर वाला कोई भी व्यक्ति दसवीं की परीक्षा दे सकता है और इसके लिए किसी
प्रकार के स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट की जरूरतनहीं होती। छात्रों ने परीक्षा
के लिए अन्य सभी औपचारिकताएं पूरी की थीं। लिहाजा, दसवीं के सर्टिफिकेट
बहाल किए जाएं और छात्रों को 12वीं की परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए। हाईकोर्ट ने परिणाम रद्द करने पर रोक लगा दी थी और सरकार से जवाब मांगा
था, लेकिन सरकार ने वीरवार को जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांग लिया।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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