रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय (डीडीई) की
मान्यता मझधार में फंस गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन न तो नए दाखिले कर पा
रहा और न सरकार से शिक्षकों की भर्ती के लिए हरी झंडी मिल रही। इससे जहां
हजारों विद्यार्थी दाखिले से वंचित हैं, वहीं विवि की आर्थिक स्थिति भी
गड़बड़ा सकती है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने मदवि के दूरस्थ शिक्षा
निदेशालय की मान्यता रद कर दी है। इसका कारण
डीडीई में शिक्षकों की स्थायी
नियुक्ति न होना बताया जा रहा है। स्थिति यह है कि चाह कर भी विवि प्रशासन
शिक्षकों की नई नियुक्ति नहीं कर पा रहा, क्योंकि राज्य सरकार ने उसके हाथ
बांध रखे हैं। सरकार शिक्षकों की भर्ती के लिए हरी झंडी नहीं दे रही जिसका
खमियाजा विवि प्रशासन को भुगतना पड़ रहा है।
प्रतिनियुक्ति पर तैनात किए
शिक्षक, नहीं मिली राहत: यूजीसी से मान्यता बहाल करने के लिए विवि प्रशासन
खूब हाथ-पैर मार रहा है। हाल ही में डीडीई के विभिन्न विषयों के लिए सृजित
12 पदों पर शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर तैनात कर दिया है। लेकिन जिन
शिक्षकों को प्रतिनियुक्त पर भेजा गया है, उनमें कई तो संबंधित विषय से ही
नहीं है। इसके अलावा शिक्षकों पर पदों पर तैनात न करके इन शिक्षकों को
ऑर्डिनेटर तैनात किया गया। विवि के इस फैसले से भी यूजीसी अधिकारी संतुष्ट
नहीं, उधर जिन शिक्षकों को डेपुटेशन पर भेजा है, उनमें तीन ने नाराजगी
प्रकट करते हुए न्यायालय में जाने की तैयारी कर ली है।
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साभार: जागरण
समाचार
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