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पंजाब सरकार इस सत्र से पांचवीं और आठवीं में बोर्ड परीक्षा अनिवार्य करने
जा रही है। इस परीक्षा में फेल करने का भी प्रावधान रहेगा। सरकार ने इस पर
होमवर्क करना भी शुरू कर दिया है।
पंजाब के शिक्षा मंत्री डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि आठवीं तक की बोर्ड
परीक्षा खत्म कर देने का नकारात्मक असर पड़ा है। कई स्थानों पर शिक्षा का
स्तर गिर गया है। आठवीं तक के बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना तो खत्म
हुई ही है, उनमें फेल होने का डर भी नहीं है। उम्मीद है कि इस सत्र से ही
सरकार दोनों कक्षाओं की परीक्षा लेगी। यूपीए सरकार ने वर्ष 2009 में राइट
टू सर्विस एक्ट लागू किया
था। इसके तहत विदेशों की तर्ज पर स्टडी का
प्रावधान और खाका तैयार किया गया था। स्कूलों में अंकों के प्रतिशत को खत्म
कर ग्रेडिंग सिस्टम शुरू किया गया और आठवीं, पांचवीं की बोर्ड परीक्षा को
खत्म कर दिया गया। आठवीं तक हर बच्चे को एजुकेशन का अधिकार दे दिया गया चाहे वह पास हो या फेल। यानी आठवीं कक्षा तक फेल होने का डर खत्म कर दिया गया था। एक्ट में संशोधन के लिए कई राज्य केंद्र सरकार के आगे अपनी बात रख चुके हैं। हिमाचल प्रदेश के सीएम ने भी कड़ा रुख इख्तियार कर केंद्र को पत्र लिखा था। राइट टू एजुकेशन एक्ट में संशोधन करवाया जाएगा। इसके लिए वैधानिक राय ली जा चुकी है। अधिकारियों से संपर्क किया जा रहा है।
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