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इतिहासकारों ने खोज निकाला है कि जर्मन तानाशाह हिटलर ने टैक्स में
धोखेबाजी करके कई स्विस बैंकों में मोटी रकम जमा कर रखी थी। जर्मनी की जनता
हिटलर के इस राज से वाकिफ नहीं थी। हालांकि उसकी मौत के बाद उसके कला
संग्रह के साथ ही ये अकूत दौलत भी पूरी तरह नष्ट हो गई। अब इतिहासकारों ने उस समय के मौजूद दस्तावेजों के आधार पर यह पता लगाने
में कामयाबी हासिल की है। इस दौलत की कीमत आज के हिसाब से तीन करोड़ 60 लाख
डालर के आसपास आंकी जा सकती है। अपने भाषणों में हिटलर लोगों को बताता था कि उसके पास बहुत थोड़ा सा धन
है, यहां तक कि कोई बैंक अकाउंट भी नहीं है। अब 'द हंट फॉर हिटलर्स मिसिंग
मिलियंस' डॉक्यूमेंट्री में दिखाया जाएगा कि कैसे उसने गुपचुप धन जमा किए।
बताया जाता है कि उसने टैक्स का भुगतान करने से भी मना कर दिया था। कानून
में बदलाव कर बच निकलने का रास्ता तैयार किया था। जेल में उसने 'मीन कॉफ'
नामक किताब लिखी, जिससे उसने करोड़ाें कमाए। हिटलर ने हुक्म जारी किया था कि
हर विवाहित जोड़े को ये किताब पढ़नी चाहिए, भले ही उसकी कीमत सरकार चुकाए। जानकार ये भी दावा करते हैं कि जिस दिन उसने आत्महत्या की, उसी सुबह
उसने एक वसीयत तैयार की थी, जिसका मकसद जर्मनी की जनता के मन में अपनी गरीब
और विनम्र इंसान की छवि बनाना था। इसमें हिटलर ने खुद को निर्धन बताते हुए
लिखा था, 'मेरे पास जो कुछ भी है, वह पार्टी के लिए है।' हिटलर की वसीयत के बारे में केवल उसका सहयोगी मार्टिन बॉरमैन जानता था।
हालांकि कुछ समय बाद ही उसकी भी हत्या कर दी गई थी। उसके मरने के बाद
सुरक्षा बलों को उसकी जैकेट से हिटलर की वसीयत बरामद हुई थी। इतिहासकार डा क्रिस वेट्टन कहते हैं कि हिटलर पैसे को पसंद करता था।
ब्रिटिश खुफिया विभाग के रिटायर्ड अधिकारी हर्मन रॉठमैन (जो हिटलर की वसीयत
को खोजने और उसका अनुवाद करने वाली टीम का हिस्सा थे) ने बताया कि उसकी
वसीयत देखकर हम चौंक गए थे। वह यही दिखाना चाहता था कि उसके पास बहुत
मामूली संपत्ति थी।
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साभार: जागरण समाचार
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