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सोने में निवेश के पीछे दो
मुख्य कारण काम करते हैं। पहला, यह महंगाई के खिलाफ हेज के तौर पर काम करता
है। दूसरा, अनिश्चितता की स्थितियों में, जब शेयर बाजार नीचे जा रहा होता
है, यह तेजी दिखाता है और अपने निवेशकों को बेहतरीन मुनाफा देता है। इसीलिए
हर व्यक्ति सोने में निवेश को जरूरी मानता है। भारत में सोने में निवेश के कई तरीके मौजूद हैं। गहने के रूप में या सिक्के
के रूप में सोना खरीदने के अलावा भी सोने में कई और तरीकों से पैसे लगाए
जा सकते हैं। इन सभी विकल्पों की अपनी खासियतें और कमियां हैं। सोने को फिजिकल फॉर्म में रखने की अपनी समस्याएं हैं, जबकि गोल्ड फ्यूचर्स में अच्छा-खासा जोखिम है। इसके अलावा सोने में निवेश के लिए म्यूचुअल फंड प्रारूप भी उपलब्ध हैं गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड फंड ऑफ फंड्स। यह निवेशक की अपनी सहूलियत पर निर्भर करता है कि वह इनमें से किस विकल्प को अपनाता है। आइए इन विकल्पों पर नजर डालते हैं:
गोल्ड फ्यूचर्स: गोल्ड फ्यूचर्स के जरिए सोना खरीदने के लिए पूरी राशि की जरूरत नहीं पड़ती। मार्जिन मनी से काम चल सकता है। किसी भी वक्त सौदा बनाया जा सकता है और काटा जा सकता है। लिक्विडिटी की समस्या नहीं होती। आप चाहें तो कैश में सौदे का निबटान कर दें या फिर आप चाहें तो इसकी फिजिकल डिलिवरी ले सकते हैं। आपके पास यह सुविधा भी होती है कि आप अगली एक्सपायरी में सौदे को रोलओवर कर लें। लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। पहली बात तो यह कि फ्यूचर्स में जोखिम अधिक होता है। इसके अलावा सौदे की एक्सपायरी से पहले आपको निर्णय लेना ही होता है। गोल्ड फ्यूचर्स में खरीद और बिक्री दोनों ही वक्त ब्रोकरेज देना पड़ता है।
गोल्ड फंड: गोल्ड फंड ऑफ फंड्स घरेलू म्यूचुअल फंडों द्वारा लांच किए गए वे फंड हैं जो अंतरराष्ट्रीय फंडों के जरिए सोने की माइनिंग से संबंधित कंपनियों में निवेश करते हैं। गोल्ड फंड में निवेश के कई फायदे हैं। यह इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रखा होता है जिससे इसके हिफाजत की चिंता नहीं करनी होती है। इस तरह की योजनाओं में निवेश करने से निवेशकों को फंड मैनेजर के कौशल और सक्रिय फंड प्रबंधन का फायदा मिलता है। गोल्ड फंड का सबसे बड़ा फायदा तो बगैर डीमैट के ऑपरेट करने की सुविधा और एसआईपी (सिप) सुविधा है। सिप के जरिए छोटी रकम से भी निवेश किया जा सकता है। इस उत्पाद में कोई ग्राहक महज कुछ सौ रुपए की राशि से भी सोने में निवेश कर सकता है। गोल्ड फंड में सिप से मिलने वाले रिटर्न पर कोई संपत्ति कर नहीं लगता। लेकिन इसकी कुछ सीमाएं भी हैं। कॉस्ट ऑफ होल्डिंग के हिसाब से गोल्ड फंड ईटीएफ से थोड़ा महंगा पड़ता है।
गोल्ड ईटीएफ: गोल्ड ईटीएफ वे म्यूचुअल फंड होते हैं जो सोने में निवेश करते हैं और शेयर बाजार में लिस्टेड होते हैं। यानि इसके जरिए सोने में निवेश करने के लिए यह जरूरी है कि आपके पास डीमैट और ट्रेडिंग खाता हो। हालांकि गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना आसान है, लेकिन इसकी भी अपनी सीमाएं हैं। इसके लिए आपको ब्रोकरेज चार्ज और फंड मैनेजमेंट चार्ज देना होता है। गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने वाले निवेशकों को फंड मैनेजर के कौशल और सक्रिय फंड प्रबंधन का फायदा नहीं मिल पाता।
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साभार: भास्कर समाचार
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