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जापान अपनी कई खूबियों के लिए दुनिया में मशहूर है। यहां के
कर्मचारियों ने भी काफी नाम कमाया है। साथ ही यहां का हाईस्पीड रेल नेटवर्क
भी लाजवाब है। जापान की खूबियों में यहां की शिन्कासेन (बुलेट ट्रेन)
ट्रेन भी शामिल है, जो मात्र एक घंटे में 200 से 250 किमी का सफर तय करती
है। कुछ ऐसी ही रफ्तार से उसकी सफाई की व्यवस्था भी की गई है। सफाईकर्मी
मात्र सात मिनट में पूरी ट्रेन को व्यवस्थित कर देते हैं। प्रत्येक कोच की सफाई के दौरान कर्मचारी एक-एक कोना साफ करते हैं। इन
क्लीनर्स के कार्य को जापान में '7 मिनट शिन्कासेन थियेटर्स' कहते हैं।
सामान्य परिस्थितियों में ट्रेन लेट नहीं होने का एक प्रमुख कारण यह भी
है। अगर ऐसा होता भी है, तो उसका औसत समय मात्र 36 सेकंड है।
एक सफाई कर्मचारी पर एक डिब्बे की जिम्मेदारी होती है। बुलेट ट्रेन की
एक डिब्बे में लगभग 100 सीटें होती हैं। बुलेट ट्रेन टोक्यो के स्टेशन में
मात्र 12 मिनट रुकती है। इस दौरान सफाईकर्मियों को ट्रेन क्लीन करने के
लिए मात्र 7 मिनट ही दिए जाते हैं। ये ट्रेन के अंदर सफाई के लिए हर इंच को
कवर करते हैं। एक ट्रेन की सफाई के लिए एक बार में 22 कर्मचारी काम करते
हैं। टोक्यो स्टेशन में हर दिन बुलेट ट्रेनों का कुल 210 बार आना-जाना होता
है। शिन्कासेन हाईस्पीड ट्रेनों को साफ करने की जिम्मेदारी 'टेसेई' के पास है।
उसके कर्मचारी ट्रेन के टोक्यो पहुंचने के पहले ही पहुंच जाते हैं। उन्हें
इस बात का अहसास रहता है कि अगर वे ज्यादा देरी से पहुंचे तो यात्रियों की
भीड़ के कारण काम पूरा नहीं कर सकेंगे। असल में ट्रेनों में हॉस्पिटेलिटी
बहुत अच्छी है और बुलेट ट्रेन प्रणाली में इसका बहुत ज्यादा ख्याल रखा जाता
है। यही कारण है कि इन ट्रेनों में बिल्कुल परेशानी नहीं होती है।
टीम प्रबंधन का उदाहरण: टोक्यो स्टेशन पर दिन भर में 210 बार बुलेट ट्रेन आती-जाती है। प्रत्येक का
स्टॉपेज 12 मिनट होता है। टेसी के पास 800 कुशल सफाई कर्मचारी हैं, जिनकी
11 टीमों में 22 क्लीनर्स हैं। प्रत्येक कोच में ये क्लीनर बंट जाते हैं और
तय समय में काम पूरा कर तुरंत बाहर हो जाते हैं। इन कर्मचारियों की औसत
उम्र 52 साल है। कंपनी में सफाईकर्मियों में 50 फीसदी महिलाएं हैं।
यात्रियों का अभिवादन:
ये सफाईकर्मी ट्रेन के आने और जाने के वक्त कोच के गेट के पास खड़े होकर
यात्रियों का अभिवादन करते हैं। इसके अलावा यात्रियों के चेहरों पर मुस्कान
लाने के लिए अपनी टोपी में कोई न कोई फूल लगाते हैं। बेहतर टाइम मैनेजमेंट
के कारण इनके कार्य की सराहना यात्री भी करते हैं।
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साभार: दैनिक भास्कर समाचार
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