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साभार: दैनिक भास्कर समाचार
इराक में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस द्वारा मोसुल शहर और अन्य
सुन्नी बहुल इलाकों पर कब्जा करने के बाद वहां संकट गहराता जा रहा है। हाल
ही में आईएसआईएस ने इराक के शहर मोसुल पर कब्जा किया तो वहां से 429 मिलियन
डॉलर की लूट की इसके बाद माना जा रहा है कि यह दुनिया का सबसे अमीर
आतंकवादी संगठन बन गया है। आइए जानें आखिर कैसा है यह आतंकी संगठन।
क्या है आईएसआईएस:
आईएसआईएस यानी इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड सीरिया (इस्लामिक स्टेट इन इराक
एंड दी लीवेंट भी
कहते हैं) एक जिहादी संगठन है, जो इराक और सीरिया में सक्रिय है। इसकी स्थापना अप्रैल 2013 में की गई थी और यह काफी तेजी से बढ़ा है। यह इराक में आतंकी संगठन अल-कायदा का सहयोगी है। यह सीरिया में सरकारी सुरक्षा बलों से लड़ रहे संगठनों में प्रमुख संगठन है। आईएसआईएस में बड़ी तादाद में विदेशी लड़ाके भी शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य इराक और सीरिया के सुन्नी इलाकों को इस्लामिक स्टेट बनाना है। लीवेंट दक्षिणी तुर्की से लेकर मिस्र तक के क्षेत्र का पारंपरिक नाम है। संगठन दावा करता है कि उसमें इराक के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और कई यूरोपियन देशों के फाइटर्स शामिल हैं। इसके अलावा संगठन अमेरिका और अरब वर्ल्ड से भी बड़ी तादाद में लोगों के शामिल होने का दावा करता है।
कैसे बढ़ती गई ताकत:
इराक में वर्ष 2006 में आतंकी संगठन अल-कायदा काफी सक्रिय था। इसका मुखिया अबु मुसाब अल-जरकावी था। अल-कायदा इराक में बहुसंख्यक शिया समुदाय के विरुद्ध युद्ध का माहौल बनाना चाहता था। अल-कायदा 2006 में अपने मकसद में कामयाब हो गया। दरसअल, यहां पर शियाओं के प्रमुख धर्मस्थल अल-अस्कारिया मस्जिद पर हमले किए गए। शियाओं ने जवाबी हमले किए और तनाव बढ़ने लगा। वर्ष 2006 में ही अमेरिकी फौजों के हमले में अल-जरकारी की मौत के बाद आईएसआईएस लगभग समाप्त हो गया था। लेकिन इराक से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद यह फिर बढ़ने लगा। अल-कायदा ने 2006 में खुद को द इस्लामिक स्टेट इन इराक (आईएसआई) कहना शुरू कर दिया, लेकिन अप्रैल 2013 में इसके साथ ‘एंड सीरिया’ भी जुड़ गया। नए संगठन ने इराक में सुन्नियों की इस भावना का फायदा उठाया कि उनके प्रधानमंत्री नूरी अल-मलिकी शिया समुदाय के हैं और सरकार उनके बारे में नहीं सोचती है। इस तरह यह संगठन इराक में मजबूत होता गया।
कहते हैं) एक जिहादी संगठन है, जो इराक और सीरिया में सक्रिय है। इसकी स्थापना अप्रैल 2013 में की गई थी और यह काफी तेजी से बढ़ा है। यह इराक में आतंकी संगठन अल-कायदा का सहयोगी है। यह सीरिया में सरकारी सुरक्षा बलों से लड़ रहे संगठनों में प्रमुख संगठन है। आईएसआईएस में बड़ी तादाद में विदेशी लड़ाके भी शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य इराक और सीरिया के सुन्नी इलाकों को इस्लामिक स्टेट बनाना है। लीवेंट दक्षिणी तुर्की से लेकर मिस्र तक के क्षेत्र का पारंपरिक नाम है। संगठन दावा करता है कि उसमें इराक के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और कई यूरोपियन देशों के फाइटर्स शामिल हैं। इसके अलावा संगठन अमेरिका और अरब वर्ल्ड से भी बड़ी तादाद में लोगों के शामिल होने का दावा करता है।
कैसे बढ़ती गई ताकत:
इराक में वर्ष 2006 में आतंकी संगठन अल-कायदा काफी सक्रिय था। इसका मुखिया अबु मुसाब अल-जरकावी था। अल-कायदा इराक में बहुसंख्यक शिया समुदाय के विरुद्ध युद्ध का माहौल बनाना चाहता था। अल-कायदा 2006 में अपने मकसद में कामयाब हो गया। दरसअल, यहां पर शियाओं के प्रमुख धर्मस्थल अल-अस्कारिया मस्जिद पर हमले किए गए। शियाओं ने जवाबी हमले किए और तनाव बढ़ने लगा। वर्ष 2006 में ही अमेरिकी फौजों के हमले में अल-जरकारी की मौत के बाद आईएसआईएस लगभग समाप्त हो गया था। लेकिन इराक से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद यह फिर बढ़ने लगा। अल-कायदा ने 2006 में खुद को द इस्लामिक स्टेट इन इराक (आईएसआई) कहना शुरू कर दिया, लेकिन अप्रैल 2013 में इसके साथ ‘एंड सीरिया’ भी जुड़ गया। नए संगठन ने इराक में सुन्नियों की इस भावना का फायदा उठाया कि उनके प्रधानमंत्री नूरी अल-मलिकी शिया समुदाय के हैं और सरकार उनके बारे में नहीं सोचती है। इस तरह यह संगठन इराक में मजबूत होता गया।
इस संगठन का प्रमुख अबु बकर अल बगदादी है। बगदादी के हाथ में संगठन की कमान
आने के बाद आतंकी एक वेल ऑर्गेनाइज्ड फाइटिंग फोर्स के रूप में काम कर रहे
हैं। अबु मुसाब अल-जरकावी की मौत के बाद इस संगठन का प्रमुख यही है।
बगदादी के बारे में बेहद कम जानकारी मुहैया है। यह अपने फोटो ज्यादा नहीं
खिंचवाता है। माना जाता है कि इसका जन्म 1971 में उत्तरी बगदाद के सामर्रा
में हुआ था। बगदादी का असली नाम अव्वाद इब्राहिम अली अल-बद्री है। इसकी
पहचान संगठन में बैटलफील्ड कमांडर और टैक्टीशियन के रूप में होती है।
जानकार कहते हैं कि युवा जिहादी इस संगठन से जुड़ने के लिए बगदादी से खासे
प्रभावित हैं। कहा जाता है कि बगदादी इस्लामी स्टडीज में पीएचडी है। बगदादी
चार साल दक्षिणी इराक के बुक्का में अमेरिका प्रिजन कैम्प में भी रहा है।
इसी समय इसने कई आतंकियों से संपर्क बढ़ाया था। इसे इस कैम्प से वर्ष 2009
में छोड़ा गया था।
कहां से आता है पैसा:
आईएसआईएस की आय का मुख्य स्रोत एक्सटॉरशन (जबर्दस्ती वसूली) है। इसके अलावा यह संगठन ट्रक चालकों और व्यापारियों से भी पैसा वसूलता है। संगठन ने कई बैंक और गोल्ड शॉप में भी लूट की है। इनका क्रिमनल नेटवर्क बड़ा है। हाल ही में जब इसने इराक के शहर मोसुल पर कब्जा किया तो वहां से 429 मिलियन डॉलर की लूट की है। इसके बाद माना जाता है कि यह दुनिया का सबसे अमीर आतंकवादी संगठन बन गया है। यूएस आर्मी वॉर कॉलेज के मुताबिक हाल ही में आईएसआईएस ने अपने हर फाइटर को 200 डॉलर प्रतिमाह देना शुरू कर दिया है, ताकि संगठन में अधिक से अधिक आतंकियों को जोड़ा जा सके।
दूसरे संगठनों से कैसे संबंध:
जानकारों का कहना है कि आईएसआईएस संगठन अपना विस्तार करने की कोशिश कर रहा है। यहां तक कि यह संगठन जिस तरह अल-कायदा का सहयोगी था, आज उससे काफी अलग हो गया है। इसके विस्तार की कहानी वर्ष 2013 में तब सामने आई थी, जब संगठन के प्रमुख बगदादी ने कहा था कि सीरिया के आतंकवादी संगठन अल-नुसरा फ्रंट का आईएसआईएस में विलय किया जा रहा है। हालांकि, बाद में जब अल-नुसरा ने इसका खंडन किया और विलय से इनकार किया तो दोनों संगठनों में काफी झगड़े हुए। ऐसे में अल-कायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी ने दोनों के बीच सुलह कराने के प्रयास किए और आईएसआईएस को यह समझाने की कोशिश की कि वह ईरान तक सीमित रहे और सीरिया में अधिक दखल न दे। ऐसा न करने पर जवाहिरी ने आईएसआईएस से खुद के संगठन अल-कायदा को बिल्कुल अलग कर दिया। इसके बाद से यह संगठन लगातार आगे बढ़ता जा रहा है।
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