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'यह मुसलमानों के मामलों का मंत्रालय नहीं, बल्कि अल्पसंख्यकों से
जुड़े मामलों का मंत्रालय है। मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं हैं। पारसी
अल्पसंख्यक हैं और उनकी संख्या लगातार घट रही है। उन्हें मदद की जरूरत है
ताकि वे खत्म न हो जाएं।' अल्पसंख्यक मामलों की केंद्रीय मंत्री नजमा
हेपतुल्ला के इस बयान पर बवाल खड़ा हो गया है। मुस्लिम समाज के लोग
हेपतुल्ला के इस बयान की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि मुसलमान
धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यक हैं। जमियत उलेमा हिंद के जनरल सेक्रेटरी
मौलाना महमूद मदनी को उस बात पर आपत्ति है, जिसमें कहा जा रहा है कि चूंकि
मुसलमानों की आबादी बहुत अधिक है, इसलिए वे अल्पसंख्यक नहीं हैं। मदनी का
कहना है, 'आपको
मुसलमानों की आबादी पूरे देश के अन्य कौम के लोगों की तुलना
में देखनी चाहिए।' गौरतलब है कि भारत में मुसलमानों की आबादी कुल आबादी का 13.4 फीसदी
है। वहीं, यहूदी और पारसी समाज की आबादी बहुत कम है। देश में पारसी समाज
की आबादी 69,000 और यहूदी समाज की आबादी 5000 बताई जाती है। आइए जानते हैं भारत में किस धर्म के कितने लोग हैं, कौन अल्पसंख्यक हैं, कौन बहुसंख्यक:
हिंदू: वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक भारत की कुल आबादी 1,028,610,328
थी। इसमें हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की तादाद करीब 827,578,868 यानी
80.5 फीसदी थी। जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक हिंदू धर्म को मानने वाले
लोग भारत में धार्मिक आधार पर बहुसंख्यक हैं। लेकिन कुछ जानकारों का कहना
है कि हिंदू समाज विभिन्न समुदायों, मत मतांतरों, भाषायी, सांस्कृतिक तौर
पर बंटा हुआ है। इस समुदाय में लोग अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा करते हैं।
ऐसी मान्यता वाले लोगों का कहना है कि हिंदू समाज को इन्हीं कारणों के
चलते एक ईकाई के रूप में देखना मुश्किल है। साथ ही यह तर्क भी दिया जाता है
कि जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत और पंजाब जैसे इलाकों में हिंदू समुदाय
बहुसंख्यक नहीं है। यही नहीं, उत्तर प्रदेश में ऐसे कई जिले हैं, जहां
हिंदुओं और मुसलमानों की आबादी तकरीबन आधी-आधी है। मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, लक्षदीप, नागालैंड, मेघालय, जम्मू-कश्मीर
और पंजाब को छोड़कर देश के अन्य 27 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में
हिंदू बहुसंख्यक हैं।
मुस्लिम: वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक देश में मुसलमानों की आबादी 13.4
फीसदी यानी 138,188,240 थी। इसका मतलब यह हुआ कि संख्या के आधार पर मुसलमान
भारत में अल्पसंख्यक हैं। लेकिन कुछ जानकारों का कहना है कि देश के ऐसे कई
इलाके हैं, जहां उनकी आबादी हिंदुओं के मुकाबले ज्यादा है। यही नहीं, अगर
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो इंडोनेशिया के बाद भारत में मुसलमानों
की आबादी सबसे ज्यादा है। भारत में मुसलमानों की तादाद पाकिस्तान और
बांग्लादेश में मुसलमानों की आबादी की तुलना में ज्यादा है। तकरीबन पूरे देश में मुस्लिम समाज के लोग रहते हैं। जम्मू-कश्मीर और
लक्षदीप में मुसलमान आबादी बहुसंख्यक है। असम (30.9%), पश्चिम बंगाल
(25.2%), केरल (24.7%), उत्तर प्रदेश (18.5%) और बिहार (16.5%) मुस्लिम
आबादी है।
ईसाई: वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक देश में ईसाई समाज की आबादी कुल आबादी
का 2.3 फीसदी यानी भारत में 24,080,016 ईसाई रहते हैं। भारत में ईसाई समाज
को अल्पसंख्यक माना जाता है। पूर्वोत्तर भारत और दक्षिण के कुछ हिस्सों में ईसाई समाज की अच्छी खासी
आबादी है। इसके अलावा शायद ही देश का कोई ऐसा जिला होगा जहां ईसाई समाज के
लोग न हों। नागालैंड, मिजोरम, मेघालय में ईसाई बहुसंख्यक हैं। मणिपुर
(34.0%), गोवा (26.7%), अंडमान और निकोबार (21.7%) और केरल (19.0%) और
अरुणाचल प्रदेश (18.7%) में भी अच्छी तादाद में मुसलमान आबादी है।
बौद्ध: देश में बौद्ध समाज के लोगों का कुल आबादी में प्रतिशत 0.8 है। यानी उनकी
तादाद वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक 7,955,207 थी। बौद्ध समाज के
लोग अल्पसंख्यक माने जाते हैं। बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य
प्रदेश के अलावा पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल
प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में काफी तादाद में मिलते हैं। लेकिन भारत
का शायद ही कोई ऐसा जिला हो, जहां बौद्ध धर्म का कोई अनुयायी न रहता हो।
जैन: देश में जैन समाज के लोगों की आबादी 0.4 फीसदी यानी 4,225,053 है। जैन समाज के लोग हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात समेत देश के कई राज्यों में रहते हैं।
पारसी: देश में पारसी समाज के लोगों की कुल आबादी करीब 69,000 है। पारसी समाज की
आबादी अन्य धर्मों के लोगों के मुकाबले तेजी से घट रही है। पारसी समाज के लोग महाराष्ट्र, गोवा, दमन-दीव और गुजरात में सबसे ज्यादा रहते हैं।
यहूदी: भारत में यहूदियों की कुल आबादी 5000 बताई जाती है। पारसी समाज की तरह
यहूदी समाज की आबादी भी भारत में अन्य धर्मों के लोगों के मुकाबले तेजी से
घट रही है। भारत में यहूदी समाज के लोग महाराष्ट्र के मुंबई और थाणे में रहते हैं।
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साभार: दैनिक भास्कर समाचार
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