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बनारस (वाराणसी) में इंजीनियरिंग के दो छात्रों ने मिलकर एक नई
तकनीक विकसित कर कमाल कर दिया है। इसके माध्यम से अब वाशिंग मशीन में
कपड़े धोने के लिए बिजली का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। बिन बिजली ही 20
से 30 मिनट में ढेर सारे कपड़े आसानी से साफ कर सकेंगे। यह वाशिंग मशीन
साइकिल के पैडल के जरिए काम करती है। इससे मोबाइल भी चार्ज हो जाता है।
वहीं, यह बिजली से चलने वाली वाशिंग मशीन से काफी सस्ती होगी। इस तकनीक
को विकसित करने वाले दोनों युवक अशोका इंस्टिट्यूट पहड़िया में मेकैनिकल
इंजीनियरिंग, फाइनल ईयर के छात्र हैं। बता दें कि अरविंद और दीपक बचपन में अपनी मां द्वारा ढेर सारे कपड़े
रोज धोते देख काफी दुखी थे। मां की परेशानी को देखकर उन्होंने ठान लिया
कि बड़ा होकर उन्हें इंजीनियर बनना है। इसके बाद एक ऐसी मशीन बनानी है, जो
उनकी मां के लिए हर तरह से लाभदायक हो। इसके लिए उन्होंने 2010 में
अपने दो साथियों धीरज और नवीन के साथ मिल कर यह सपना साकार करने की कोशिश
शुरू की। परिणाम यह हुआ कि मार्च 2014 में उनके मिशन को कामयाबी मिली।
दीपक के पिता एक मामूली जनरल स्टोर चलाते हैं, जबकि अरविंद के पिता
इंजीनियर हैं।
यह वाशिंग मशीन बिजली से नहीं, बल्कि साइकिलिंग के जरिए चलेगी। इसके बकेट में बुली लगा है, जो कपड़ों को रोटेट (घुमाता) करता है। 20-30 मिनट चलाने पर 100-120 कैलोरी ऊर्जा शरीर में बनती है। एक बार में सात से आठ कपड़े धोए जा सकते हैं। पानी गिरा देने पर बुली ड्रायर का भी काम करता है। वाशिंग मशीन की ऊर्जा से मोबाइल भी आसानी से चार्ज किया जा सकता है। स्वास्थ्य के लिए लाभदायक, क्योंकि इसमें साइकिलिंग व्यायाम भी हो जाता है।
क्या कहते हैं इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर: अशोक इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर अमित मौर्या ने बताया कि वाशिंग मशीन के
बकेट में बुली लगा है, जो कपड़ों को अंदर रोटेट करता है। साइकिल के पैडल से
बुली कनेक्टेड है। इससे आठ वोल्ट तक ऊर्जा भी जेनरेट (उत्पन्न) होती है।
इससे मोबाइल आसानी से चार्ज किया जा सकता है। इस पर कुल लागत मात्र 1400
रुपए आई है। उन्होंने कहा कि प्रतिभावान छात्रों के प्रोजेक्ट पर
संस्थान आर्थिक मदद भी करता है।
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साभार: डीबी समाचार
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