Monday, June 30, 2014

क्या आप जानते हैं: गुजरात का ये गाँव है पूरी तरह है हाईटेक


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गुजरात के साबरकांठा जिले का गांव पुंसरी देश के करीब 6 लाख गांवों का रोल मॉडल बनने जा रहा है। 28 साल के सरपंच हिमांशुभाई नरेंद्र पटेल कहते हैं, 6000 की आबादी वाले हमारे गांव में 2006 तक कुछ नहीं था। चरनोई की भूमि बेचकर जो पैसा मिला, उससे विकास करते गए। अब यहां पांच स्कूल हैं, सभी में एसी और सीसीटीवी लगे हैं। माता-पिता घर बैठे देख लेते हैं कि उनका बच्चा स्कूल में क्या कर रहा है। पूरे गांव में कैमरे लगे हैं। पक्की सड़कें, दूध लाने ले जाने वाली महिलाओं के लिए अटल एक्सप्रेस नाम की बस सेवा। पूरा गांव वाई-फाई। गांव में 120 स्पीकर लगे हैं। यदि
सरपंच को कोई घोषणा करनी हो या फिर भजन का आयोजन। ये स्पीकर ही माध्यम बनते हैं। बच्चों का रिजल्ट भी इसी पर घोषित होता है। आइए देखें और क्या क्या है इस अनूठे गाँव में:
मिनरल वॉटर की सुविधा: पूरे गांव में पीने के लिए शुद्ध पानी की व्यवस्था है। इसके लिए पंचायत और ग्रामीणों के सहयेाग से एक आरओ प्लांट की स्थापना की गई है। इस प्लांट से पानी को शुद्ध कर घर-घर सप्लाई किया जाता है। गांव के हरेक परिवार को सिर्फ 4 रुपए में 20 लीटर मिनरल वॉटर की बॉटल घर-घर पहुंचाई जाती है। वहीं अगर आपको ठंडा पानी चाहिए तो 20 लीटर मिनरल वॉटर की बॉटल 6 रुपए में खरीदी जा सकती है। इतना ही नहीं, अगर आपके पास रोज-रोज चार रुपए खुल्ले पैसे देने में दिक्कत आती है तो आप अपनी मर्जीनुसार कूपन भी खरीद सकते हैं। घर-घर तक पानी पहुंचाने के लिए ग्राम पंचायत ने एक ऑटो भी खरीद रखा है।
गांव को स्वच्छ रखने की व्यवस्था: स्वच्छ पानी के अलावा ग्राम पंचायत ने गांव को स्वच्छ रखने के लिए सराहनीय प्रयास किए हैं। इसमें भी पंचायत को ग्रामीणों का पूरा सहयोग प्राप्त है। ग्रामीणों से कहा गया है कि वे कचरा इधर-उधर न फेंके। कचरे को किसी एक जगह एकत्रित कर रखें। रोजना सुबह पंचायत के कर्मी घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करते हैं और कचरा फेंकने के लिए भी गांव की सीमा पर विशेष इंतजाम किया गया है। इसीलिए इस गांव में कहीं भी कचरे का नामो-निशान नहीं मिलता।
इंटरनेट की सुविधा: पुंसरी ग्राम पंचायत पूरी तरह से कंप्युटराइज्ड है। गांव के लोगों को इंटरनेट की सुविधा मिलती रही। इसके लिए पंचायत ने एक निजी कंपनी से वाई-फाई की सुविधा ले रखी है। युवा समय के साथ कदम मिला सकें, इस बात को ध्यान में रखते हुए सिर्फ 10 रुपए के रजिस्ट्रेशन करवा कर इंटरनेट का उपयोग किया जा सकता है। 
माइक का प्रयोग: गांवों में स्कूलों सहित कई जगह सीसीटीवी कैमरे के साथ माइक भी लगे हुए हैं। माइक का प्रयोग ग्राम पंचायत द्वारा ग्रामीणों को किसी कार्यक्रम या इमरजेंसी की सूचना देने के लिए किया जाता है। जबकि शाम के समय इन माइकों का प्रयोग भक्ति गीत सुनने के लिए किया जाता है। बच्चों का रिजल्ट भी इसी पर घोषित होता है।
लायब्रेरी की व्यवस्था: इस कांसेप्ट के लिए भी पंचायत ने एक लोटिंग ऑटो खरीद रखा है। ऑटो में सैकड़ों पुस्तकें होती हैं। गांव में ऑटो का समयनुसार रूट निश्चित किया गया है। इसके अनुसार ऑटो दिन भर में कई जगह एक तय स्थान पर पहुंचता है, जहां लोग अपनी पसंद की किताब पढ़ सकते हैं।


साभार: भास्कर समाचार
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