Saturday, June 28, 2014

कन्या भ्रूण हत्या पर ये क्या कहा स्मृति ईरानी ने



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'जब मैं पैदा हुई, तब मेरी मां से भी कहा गया कि बेटी बोझ है, इसे मार दो...' केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के इस वाक्य के साथ ही भोपाल के टीटी नगर स्थित मॉडल स्कूल के सभागृह में सन्नाटा छा गया। मंच पर बैठे अतिथि और नीचे मौजूद छात्र-छात्राएं आवाक रह गए। स्मृति ने भावुक होते हुए कहा 'मेरी मां यदि बेटियों को बोझ मानती तो मैं आज यहां आप सबके सामने नहीं होती।' शुक्रवार को एक दिवसीय भोपाल प्रवास पर आईं स्मृति ईरानी स्कूल में संवाद कार्यक्रम के छात्र-छात्राओं के सवालों के जवाब दे रही थीं। बातचीत की शुरुआत में स्मृति के कुछ जवाबों पर तालियां भी बजीं, लेकिन ग्यारहवीं की एक छात्रा के सवाल ने कुछ देर के लिए माहौल बेहद गंभीर कर दिया। छात्रा ने स्मृति से
जानना चाहा था कि वे भ्रूण हत्या रोकने के लिए क्या करेंगी? जवाब में केंद्रीय मंत्री ने उक्त बात कही। स्मृति ने कहा कि उन्होंने आज तक इसका जिक्र किसी से नहीं किया है। उन्होंने कहा कि वे तीन बहनें हैं और यकीन के तौर पर कह सकती हैं कि बेटियां किसी भी मायने में बेटों से कमतर नहीं हैं।

हायर सेकंडरी के एक छात्र ने स्मृति ईरानी से सवाल किया कि कोचिंग जैसे शिक्षक हमें क्यों नहीं मिलते? इस पर मानव संसाधन मंत्री बोलीं कि उनका बेटा आठवीं में और बेटी पांचवीं में पढ़ती है। मां के नाते उन्हें भी इस बात की चिंता सताती है कि बच्चों को स्कूल में वैसी ही शिक्षा मिले, जैसी कोचिंग में मिलती है। केंद्रीय मंत्री ने इसके लिए शिक्षकों की ट्रेनिंग का नेशनल मिशन लांच करने तथा उनकी केपेसिटी बिल्डिंग की दिशा में काम करने की जरूरत बताई। 
केंद्रीय मंत्री से एक अन्य छात्र ने उनकी सफलता से जुड़ा सवाल पूछा था। स्मृति ने जवाब दिया कि वे अपने आप को अपेक्षा के अनुरूप सफल नहीं मानतीं। उन्होंने कहा कि हमें शिक्षक के समान परिश्रम कर सफलता प्राप्त करना होगी। क्योंकि मेहनत और लगन के साथ काम कर ही व्यक्ति जीवन में सफल हो सकता है। एक छात्रा के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश भर के स्कूलों में एक ही बोर्ड के तहत पढ़ाई के लिए एजुकेशन पॉलिसी का रिवीजन किया जाएगा। इसके लिए विद्यार्थियों से भी सुझाव लिए जाएंगे।


साभार: भास्कर समाचार
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