Thursday, June 19, 2014

कैदी ही तैयार करते हैं फांसी का फंदा

साभार: दैनिक भास्कर समाचार
क्या आप जानते हैं कि फांसी की सजा पाए कैदियों के लिए फंदा जेल में ही सजा काट रहा कैदी तैयार करता है? आपको अचरज हो सकता है, लेकिन अंग्रेजों के जमाने से ऐसी ही व्यवस्था चली आ रही है। इतना ही नहीं, देश के किसी भी कोने में फांसी देने की अगर नौबत आती है तो फंदा सिर्फ बिहार के बक्सर जेल में ही तैयार होता है। इसकी वजह यह है कि वहां के कैदी इसे तैयार करने में माहिर माने जाते हैं। रायपुर जेल में कैद सोनू सरदार की दया याचिका खारिज होने के बाद प्रशासनिक स्तर पर सभी तरह की तैयारी की जा रही है। दैनिक भास्कर के
दिल्ली ब्यूरो के अनुसार फांसी के फंदे की मोटाई को लेकर भी मापदंड तय है। फंदे की रस्सी डेढ़ इंच से ज्यादा मोटी रखने के निर्देश हैं। इसकी लंबाई भी तय है। इसकी कीमत बेहद कम है। दस साल पहले जब धनंजय को फांसी दी गई थी, तब यह 182 रुपए में जेल प्रशासन को उपलब्ध कराई गई थी।

ब्रिटिश जमाने से बक्सर के कैदी बना रहे फंदा: ब्रिटिश काल से ही बक्सर जेल के कैदी मौत का फंदा तैयार कर रहे हैं। सजायाफ्ता कैदियों के लिए तय काम और प्रशिक्षण में एक मौत का फंदा तैयार करने का हुआ करता था। पुराने कैदी नए कैदियों को जूट और रस्सी के अन्य उपयोग की चीजों के अलावा फंदा बनाने का प्रशिक्षण देते थे। बक्सर जेल में यह सिलसिला अब भी जारी है। 
168 किलो का होता है फंदा, मनीला रस्सी का इस्तेमाल: फांसी का फंदा मनीला रस्सी से बनता है। ब्रिटिश काल में पहले फिलीपिंस की राजधानी मनीला में फांसी के लिए रस्सी तैयार होती थी। बाद में बक्सर जेल में वैसी ही रस्सी का निर्माण होने लगा। इसी वजह से उस रस्सी का नाम मनीला रस्सी है। कच्चे सूत की एक-एक कर 18 धागे तैयार किए जाते हैं। सभी को मोम में पूरी तरह भिगो दिया जाता है। उसके बाद सभी धागों को मिलाकर एक मोटी रस्सी तैयार की जाती है। फंदा भी 168 किलोग्राम वजनी होता है। 
साभार: दैनिक भास्कर समाचार
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