साभार: जागरण समाचार
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गौरी और विश्वजीत को पिछले दिनों भीम अवार्ड भी प्रदान किया जा चुका है। खेमका ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को सुझाव दिया है कि दोनों से खिलाड़ियों के सर्वोच्च भीम पुरस्कार, प्रमाण पत्र, भीम प्रतिमा, ब्लेजर, टाई और स्कार्फ भी वापस लिया जा सकता है। अशोक खेमका ने सरकार को सलाह दी कि गलत ढंग से हासिल की गई राशि को 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से वापस लेकर सरकारी खजाने में जमा कराया जाए। खेल मंत्री अनिल विज ने इस जांच रिपोर्ट को मंजूरी देते हुए मुख्यमंत्री को भेजा। मुख्यमंत्री ने तीनों से एक पखवाड़े के भीतर जवाब मांगने के निर्देश दिए हैैं।
बेटी ने 43 लाख और बेटे ने 16 लाख रुपये लिए: अशोक खेमका की जांच रिपोर्ट के मुताबिक गौरी श्योराण को 43 लाख रुपये की अतिरिक्त पुरस्कार राशि और 2013-16 के दौरान विश्वजीत सिंह को 17 लाख रुपये का भुगतान किया गया। तब जगदीप सिंह खेल निदेशक थे।
भीम पुरस्कारों के लिए अंकों की गड़बड़ी: अशोक खेमका की जांच रिपोर्ट में गौरी व विश्वजीत को भीम पुरस्कार भी गलत ढंग से दिए जाने की बात कही गयी है। इस पुरस्कार को पाने के लिए न्यूनतम 50 अंक की आवश्यकता होती है। बताया गया कि गौरी श्योराण की स्कोरिंग शीट ने उन्हें टीम श्रेणी में 84 अंक दिलाए थे, जबकि स्वीकृत स्कोरिंग योजना के अनुसार उनका भीम अवार्ड स्कोर 37 अंक था। इसी तरह, विश्वजीत सिंह के मामले में उनकी स्कोर शीट ने उन्हें टीम श्रेणी में 60 अंक दिए, जबकि उनका स्कोर 18 अंक था। जगदीप सिंह का कहना है कि अकेले निदेशक भीम पुरस्कार देने में सक्षम नहीं होता। जब भीम पुरस्कार मेरे बच्चों को दिया गया, तो मैं उस समिति से हट गया था।
बेटा-बेटी दोनों राष्ट्र का गौरव, मैैं सरकार को जवाब दूंगा - जगदीप सिंह: जगदीप सिंह ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि वह सरकार के समक्ष अपना जवाब पेश करेंगे। उनके अनुसार मेरी बेटी गौरी ने 24 अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं और 33 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया है। हाल ही में उन्हें विश्वविश्वविद्यालय चैंपियनशिप में पुरस्कार मिला। उसके पास 85 राष्ट्रीय पदक हैं। बेटे विश्वजीत के पास 12 अंतरराष्ट्रीय और 50 राष्ट्रीय पदक हैैं। दोनों ही राष्ट्र का गौरव हैैं। कोई भी गलत तरीके से राज्य सरकार के पैसे का दावा कैसे कर सकता है। जगदीप सिंह के अनुसार न केवल मेरे बच्चे, बल्कि मैैं आश्वस्त कर सकता हूं कि हरियाणा के एक भी खिलाड़ी को गलत तरीके से कोई पैसा नहीं दिया गया।
खेमका ने बनाया मोदी के चौकीदार होने के बयान को ढाल: इस जांच रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री के ओएसडी टूर आलोक वर्मा ने अशोक खेमका से कुछ सवाल-जवाब भी किए थे, जिनका जवाब देते हुए खेमका ने कहा है कि हम कानून के शासन द्वारा निर्देशित होते हैं और सार्वजनिक ट्रस्टी के रूप में कार्य करते हैं... हमारे प्रधानमंत्री भी खुद को देश का चौकीदार कहकर सार्वजनिक जीवन में सार्वजनिक विश्वास के मूल्य पर जोर दे रहे हैं।