साभार: भास्कर समाचार
चीन ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के तीन देशों के प्रस्ताव पर एक बार फिर अड़ंगा लगा दिया। इस पर भाजपा नेताओं ने गुस्सा जाहिर
किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को इसके पीछे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दोषी ठहराया। जेटली ने कहा कि नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन को सीट देने का समर्थन किया था। इसके असली गुनहगार वही हैं।
जेटली ने किया नेहरु के पत्र का जिक्र: दरअसल, राहुल गांधी ने सुबह ही अपने ट्वीट में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कमजोर हैं और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से डरते हैं। इस पर जेटली ने कहा कि कश्मीर और चीन दोनों मामलों में एक ही व्यक्ति ने गलती की। जेटली ने इस संबंध में 2 अगस्त 1955 के एक पत्र का जिक्र किया, जो नेहरु ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखा था।
राहुल बताएं असली गुनहगार कौन: जेटली ने ट्वीट में पत्र के अंशों का जिक्र किया। इसमें कहा गया था कि अमेरिका चीन को संयुक्त राष्ट्र में लेने के लिए तैयार था। लेकिन सुरक्षा परिषद में वह भारत को जगह देना चाहता था। लेकिन नेहरु ने भारत को सुरक्षा परिषद में शामिल जाने का प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया कि चीन एक महान देश है और ऐसे में उसकी जगह लेना बेइमानी होगी। राहुल पर तंज कसते हुए जेटली ने पूछा कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष बताएंगे कि चीन को सुरक्षा परिषद में अपना स्थान देने का असली गुनहगार कौन था?
चीन ने चौथी बार रोका मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव: चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में चौथी बार जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने बचा लिया। बताया जा रहा है कि चीन ने प्रस्ताव में तकनीकी खामी का हवाला दिया। फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका अजहर के खिलाफ यह प्रस्ताव 27 फरवरी को लाए थे। इस पर आपत्ति की समय सीमा (बुधवार रात 12:30 बजे) खत्म होने से ठीक एक घंटे पहले। चीन ने इस पर अड़ंगा लगा दिया। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि 10 से अधिक देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
चीन की बात है तो दूर तक जाएगी - रविशंकर प्रसाद: इससे पहले सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी राहुल को ट्वीट पर घेरा। उन्होंने द हिंदू अखबार के 9 जनवरी 2004 के लेख का हवाला देते हुए बताया कि जवाहरलाल नेहरू ने यूएन सुरक्षा परिषद में 1953 में भारत को मिलने वाली सीट चीन को दे दी थी। अपनी किताब इन्वेंशन ऑफ इंडिया में शशि थरूर ने लिखा कि तत्कालीन भारतीय विदेश विभाग के अधिकारी जिन्होंने फाइल देखी, वे कसम खाते हैं कि नेहरू ने खुद यूएन की सीट चीन को दी।