साभार: जागरण समाचार
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल के विधायक पुत्र कुलदीप बिश्नोई एक बार फिर कांग्रेस को अलविदा
कहने की तैयारी में हैं और उनके कदम एक बार फिर भाजपा की ओर बढ़ते लग रहे हैं। बताया जाता है कि प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन नहीं होने से नाराज चल रहे कुलदीप बिश्नोई पिछले कई दिनों से भाजपा के संपर्क में हैं। उन्होंने हरियाणा भाजपा के प्रभारी डाॅ. अनिल जैन से मुलाकात कर नई राजनीतिक संभावनाओं को जन्म दे दिया। हालांकि कुलदीप के विश्वस्त लोगों ने इससे इन्कार किया है। उनका कहना है कि कुलदीप निष्ठावान कांग्रेसी हैैं। 2104 के लोकसभा चुनाव में कुलदीप की पाटी हजकां का भाजपा से गठबंधन था।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल के विधायक पुत्र कुलदीप बिश्नोई एक बार फिर कांग्रेस को अलविदा कहने की तैयारी में हैं और उनके कदम एक बार फिर भाजपा की ओर बढ़ते लग रहे हैं। बताया जाता है कि प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन नहीं होने से नाराज चल रहे कुलदीप बिश्नोई पिछले कई दिनों से भाजपा के संपर्क में हैं। उन्होंने हरियाणा भाजपा के प्रभारी डाॅ. अनिल जैन से मुलाकात कर नई राजनीतिक संभावनाओं को जन्म दे दिया। हालांकि कुलदीप के विश्वस्त लोगों ने इससे इन्कार किया है। उनका कहना है कि कुलदीप निष्ठावान कांग्रेसी हैैं। 2104 के लोकसभा चुनाव में कुलदीप की पाटी हजकां का भाजपा से गठबंधन था।
कुलदीप बिश्नोई का कांग्रेस हाईकमान पर दबाव, पार्टी को अलविदा कहने की तैयारी: हिसार और भिवानी से सांसद रहे कुलदीप बिश्नोई इस बार भी हिसार लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट के प्रबल दावेदारों में शामिल हैं, लेकिन वह अपने बेटे भव्य बिश्नोई को यहां से चुनाव लड़वाना चाहते हैं। कांग्रेस में भी उनकी अपने बेटे के लिए बात चल रही है, लेकिन किसी कारणवश यदि बात नहीं बन पाई तो कुलदीप बिश्नोई के सामने अपने बेटे के लिए भाजपा टिकट का विकल्प खुला है। इसी मंशा से कुलदीप कई दिनों से भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं और उन्हें समझाने की कोशिश में जुटे हैं कि जेजेपी के दुष्यंत चौटाला को भव्य बिश्नोई टक्कर दे सकते हैं।
खुद के लिए करनाल और बेटे के लिए हिसार से टिकट के रखे विकल्प: पिछले लोकसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई की हरियाणा जनहित कांग्रेस और भाजपा के बीच गठबंधन था। हजकां ने हिसार और सिरसा दो लोकसभा सीटों पर और भाजपा ने आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन कुलदीप अपने हिस्से की दोनों सीटें हार गए थे। तब अनिल विज के प्रबल विरोध के चलते भाजपा ने हजकां से नाता तोड़ लिया था। इसके बाद दोनों दलों ने विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा। फिर कुलदीप ने हजकां का कांग्रेस में विलय करते हुए राहुल गांधी के नेतृत्व में आस्था जताई।
भाजपा हाईकमान ने अभी नहीं दिया कोई भरोसा, पार्टी में विरोध संभव: उनकी विधायक पत्नी रेणुका बिश्नोई भी कांग्रेस में शामिल हो गई थीं, मगर हरियाणा कांग्रेस की कमान संभालने के लिए कुलदीप के प्रयास लगातार जारी रहे। चर्चाएं हैं कि अभी तक भी इसमें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने नई राजनीतिक राह तलाशने में ही भलाई समझी। बता दें कि कुलदीप के पिता भजनलाल ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाने के कांग्रेस हाईकमान के फैसले के विरुद्ध हरियाणा जनहित कांग्रेस बनाई थी। हालांकि हुड्डा ने अपनी सरकार में कुलदीप को डिप्टी सीएम बनाने की पेशकश की थी मगर वह राजी नहीं हुए और उनके पांच विधायक छिटककर हुड्डा के साथ मिल गए थे। बाद में उन्हीं हुड्डा के साथ कुलदीप की राजनीतिक गलबहियां देखने को मिलीं।
अब कुलदीप बिश्नोई अपने साथ-साथ बेटे भव्य बिश्नोई के राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने की तैयारी में हैं। वह भाजपा में अपनी और अपने बेटे दोनों की सीटों के लिए प्रयास कर रहे हैं। कुलदीप बिश्नोई की दलील है कि करनाल सीट उनके पिता स्व. भजनलाल की परंपरागत सीट रही है। लिहाजा उन्हें करनाल से टिकट दिया जा सकता है। बावजूद इसके यदि भाजपा सिर्फ एक ही टिकट देना चाहे तो कुलदीप अपने बेटे के लिए हिसार से टिकट लेने को प्राथमिकता देंगे। भाजपा में हालांकि उनका कुछ नेता विरोध कर सकते हैं, लेकिन भाजपा मिशन 2019 को फतेह करने के लिए कई कड़े फैसले लेने का संकेत पहले ही दे चुकी है। कांग्रेस कार्यसमिति की अहमदाबाद में हुई बैठक में शामिल होने की बजाय कुलदीप की भाजपा प्रभारी डा. अनिल जैन से हुई मुलाकात खासी चर्चाओं में रही है।