विद्यार्थियोंके हितों को देखते हुए हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने सेकेंडरी सीनियर सेकेंडरी कक्षाओं के प्रमाण पत्रों के प्रारूप को बदलने का फैसला किया है। अब प्रमाण पत्र का प्रारूप ऐसा बनाया जाएगा, ताकि बच्चे आसानी से दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला ले सकें, यानि अब पहले की तरह 10वीं-12वीं के प्रमाण
पत्र पर सतत समग्र मूल्यांकन प्रणाली (सीसीई)अंक नहीं होंगे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हरियाणा बोर्ड ने 10वीं-12वीं के प्रमाण पत्रों में बदलाव किया है। अब पहले की तरह सीसीई अंक बोर्ड के प्रमाण पत्र पर अंकित नहीं होंगे।
सीसीई के जो अलग से 20 अंक दिए जाते हैं। उन्हें अब प्राप्त अंकों में ही समाहित किया जाएगा। जिस विषय का प्रेक्टिकल टेस्ट होगा, उसमें 10 अंक प्रेक्टिकल तो 10 अंक थ्योरी में अलग से दिए जाएंगे। प्रेक्टिकल विषय नहीं होने पर सभी 20 अंक थ्योरी विषय में सम्मिलित कर दिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त फोटा का साइज बड़ा किया गया है। बोर्ड के सचिव एवं एडीसी धीरेंद्र खड़गटा ने बताया कि बच्चों के हितों को देखते हुए सीसीई अंकों को प्राप्त अंकों में समाहित कर दिया जाएगा। वार्षिक परीक्षाओं के बाद 10वीं-12वीं का प्रमाण पत्र नए प्रारूप का होगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत लगभग सात वर्ष पहले शिक्षा प्रणाली में कुछ बदलाव किया गया। इसके लिए 10वीं-12वीं में 20 प्रतिशत अंक स्कूलों के लिए अधिकृत किए गए। इसमें 15 -15 अंक के दो यूनिट टेस्ट, पांच-पांच अंकों की कक्षा कार्य 10-10 अंक प्रोजेक्ट के रखे गए। इन सीसीई अंकों पर दिल्ली विश्वविद्यालय को ऑब्जेक्शन है। यह अकेले हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की परेशानी नहीं है, बल्कि कई बोर्डों की है। केरला बोर्ड ने दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, लेकिन वहां पर केरला बोर्ड को शिकस्त का सामना करना पड़ा। इसे देखते हुए हरियाणा बोर्ड ने अपने प्रमाण पत्र में बदलाव करने का फैसला किया है।
बोर्ड ने भेजा था प्रतिनिधिमंडल: शिकायतोंके बाद बोर्ड प्रशासन ने अपना प्रतिनिधिमंडल दिल्ली विश्वविद्यालय भेजा था। प्रतिनिधिमंडल ने अपनी बात रखी और बताया कि उन्होंने सीसीई के जो अंक बच्चों को दिए गए हैं वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्देशानुसार दिए गए हैं। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने वही बात एचआरडी मंत्रालय में रखी, लेकिन वहां से भी कोई सहायता नहीं मिली। इन्हें देखते हुए अब बोर्ड प्रशासन ने 10वीं-12वीं कक्षा के सर्टिफिकेट के प्रारूप में बदलाव करने का फैसला किया, ताकि बच्चों को इस तरह की परेशानी उठानी पड़े।
2006 से लागू हुआ था सिस्टम: बोर्ड में सेमेस्टर प्रणाली शुरू होते ही इस तरह के प्रमाण पत्र देने शुरू किए थे। इससे पहले सीसीई अंकों का कोई वर्णन नहीं होता था। सेमेस्टर सिस्टम शुरू होते ही प्रमाण पत्रों पर सीसीई अंकों का उल्लेख किया जाने लगा।
रह जाते थे दाखिले से वंचित: प्रदेशके काफी संख्या में छात्र-छात्राएं सीनियर सेकेंडरी के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेते हैं। इस वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेने गए छात्रों को निराशा हाथ लगी, क्योंकि विश्वविद्यालय ने छात्रों के 10 प्रतिशत अंक कम कर दिए। इससे काफी संख्या में छात्र दाखिला लेने से वंचित रह गए। दिल्ली तीन तरफ से हरियाणा से घिरा हुआ है। दिल्ली के कॉलेजों में लगभग 74 हजार सीटें हैं, यानि कि हर वर्ष 74 हजार नए दाखिले होते हैं। वर्ष 2014 में प्रदेश के लगभग 49 हजार छात्र-छात्राओं ने दाखिला लिया था। वर्ष 2015 में भी काफी संख्या में छात्रों ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अप्लाई किया था, लेकिन इनमें से लगभग 25 हजार छात्र-छात्राओं को दाखिले से वंचित रहना पड़ा। इसका मुख्य कारण रहा दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा दस प्रतिशत अंक कम करना। 10 प्रतिशत अंक कम करने से छात्रों का नाम मेरिट सूची से वंचित रह गया।
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साभार: भास्कर समाचार
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