Monday, February 15, 2016

जूनून: खुद आठवीं पास, लेकिन तीस साल से कर रही महिलाओं को साक्षर

अपनी पढ़ाई पूरी न कर पाने का रंज लाहौल-स्पीति की विजय देवी के मन में ऐसा घर कर गया कि उन्होंने जनजातीय जिले की महिलाओं को साक्षर बनाने की ठान ली। लगभग तीन दशक पहले विजय देवी ने बुजुर्ग महिलाओं को साक्षर करने का बीड़ा उठाया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। छह माह तक बर्फ की कैद में रहने वाली घाटी और पढ़ाई से कोसों दूर रहने वाली महिलाओं में साक्षरता की लौ जलाने के लिए विजय देवी ने अपना घर तक नहीं बसाया। आठवीं पास करने के बाद घर और भाइयों के पालन-पोषण का भार उनके कंधों पर आ गया था। इससे उनकी पढ़ाई छूट गई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। विजय देवी अपने भाइयों को पढ़ाने के साथ-साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बनीं। दिन में नौनिहालों और शाम को बुजुर्ग महिलाओं को पढ़ातीं। महिला उत्थान और प्रौढ़ शिक्षा में उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें भारत सरकार के बाल विकास एवं महिला कल्याण विभाग ने 2003 में राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित करवाया। 56 साल की विजय देवी अब भी महिलाओं को साक्षर करने में जुटी हुई हैं। अब तक आसपास के नौ महिला मंडलों की सदस्यों में वह साक्षरता की लौ जलाने में कामयाब रही हैं। कई अनपढ़ महिलाएं साक्षर होने के बाद पंचायती राज चुनाव में उतरीं और क्षेत्र के विकास के लिए बेहतरीन कार्य किया। एसडीएम उदयपुर डॉ. अमित गुलेरिया कहते हैं कि रूढ़िवादिता में फंसी महिलाओं को शिक्षा की ओर प्रेरित करना आसान नहीं है लेकिन विजय देवी ने हिम्मत नहीं हारी।
100 से ज्यादा महिलाओं को कर चुकी हैं साक्षर: विजय देवी की ओर से साक्षर करने के बाद 75 साल की तुली देवी प्रधान, 65 वर्षीय भीमी देवी वार्ड सदस्य बनीं। विजय अब तक 100 से ज्यादा महिलाओं को साक्षर कर चुकी हैं। वे एक गांव से दूसरे गांव जाकर महिलाओं को साक्षर बनने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। कन्या भ्रूण हत्या, पर्यावरण बचाने और नशे के खिलाफ अभियान में भी भागीदार बनी हैं।
  • ग्रामीण महिलाओं को शब्द ज्ञान देने के लिए अपना घर तक नहीं बसाया। 
  • जनजातीय इलाके में उत्कृष्ट कार्यों के लिए मिल चुका है राष्ट्रपति अवार्ड
  • कई महिलाओं की संवारी जिंदगी जो कर रहीं पंचायतीराज में प्रतिनिधित्व
अगर इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प मजबूत हो तो बिना संसाधनों के भी किसी अभियान को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है। - विजय देवी
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: अमर उजाला समाचार 
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