वित्त मंत्री अरुण जेटली पर आम बजट 2016-17 में आयकर से छूट की सीमा बढ़ाने की चौतरफा मांग का दबाव भले ही हो लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती व्यक्तिगत करदाता आधार यानि करदाताओं की संख्या बढ़ाना है। सरकार के अब तक तमाम प्रयासों के बावजूद प्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में वांछित वृद्धि नहीं
हुई है। हाल यह है कि सवा अरब की आबादी वाले देश में पांच करोड़ भी व्यक्तिगत करदाता नहीं हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ऐसे में वित्त मंत्री पर राजकोषीय नीति को दिशा देते वक्त करदाताओं का आधार बढ़ाने का दबाव होगा। वित्त मंत्रलय के अनुसार आकलन वर्ष 2014-15 में देश में मात्र 4.86 करोड़ व्यक्तिगत करदाता थे जबकि आकलन वर्ष 2013-14 में इनकी संख्या 4.90 करोड़ थी।
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साभार: जागरण समाचार
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