साभार: जागरण समाचार
जैश सरगना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से लगाये जाने वाले प्रतिबंध पर चीन क्या रुख अख्तियार करेगा यह तो अगले कुछ घंटों में पता चल जाएगा लेकिन यह भी तय है कि अगर चीन की तरफ से पूर्व की भांति
इसका विरोध किया गया तो यह एशिया प्रशांत क्षेत्र में हो रहे कूटनीतिक व रणनीतिक बदलावों पर भी गहरा असर डालेगा। अब यह मामला सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच नहीं रह गया है बल्कि आतंकवाद से त्रस्त अमेरिका समेत दूसरे देश भी मसूद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने को लेकर कड़े तेवर अख्तियार करते दिख रहे हैं। अमेरिका ने बुधवार को चीन की तरफ इशारा करते हुए यहां तक कहा कि मसूद पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कामयाब नहीं होती है तो इससे क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचेगा।
जैश सरगना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से लगाये जाने वाले प्रतिबंध पर चीन क्या रुख अख्तियार करेगा यह तो अगले कुछ घंटों में पता चल जाएगा लेकिन यह भी तय है कि अगर चीन की तरफ से पूर्व की भांति इसका विरोध किया गया तो यह एशिया प्रशांत क्षेत्र में हो रहे कूटनीतिक व रणनीतिक बदलावों पर भी गहरा असर डालेगा। अब यह मामला सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच नहीं रह गया है बल्कि आतंकवाद से त्रस्त अमेरिका समेत दूसरे देश भी मसूद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने को लेकर कड़े तेवर अख्तियार करते दिख रहे हैं। अमेरिका ने बुधवार को चीन की तरफ इशारा करते हुए यहां तक कहा कि मसूद पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कामयाब नहीं होती है तो इससे क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचेगा।
जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंध लगाने संबंधी प्रस्ताव पर बुधवार देर रात तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनसीएन) में फैसला होना है। इसके लिए अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने यूएन की 1267 समिति के तहत प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया है। यह प्रतिबंध तभी लागू होगा जब पांच स्थाई सदस्य और दस अस्थाई सदस्य समर्थन करे। विगत में चार बार चीन की तरफ से इस प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग किया जा चुका है। इस बार भी चीन के तेवर कुछ ऐसे ही दिख रहे हैं। क्योंकि चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि इस मामले का समाधान इस तरह से निकलना चाहिए जिससे सभी पक्षों को संतुष्टि हो। वैसे चीन ने यह भी कहा है कि वह इस बारे में दायित्व से फैसला करेगा लेकिन यह शर्त भी लगा दी है कि 1267 समिति की सभी नियमों का पालन किया जाना चाहिए। जाहिर है कि पूर्व की तरह इस बार भी चीन अपने मित्र देश पाकिस्तान की मदद करने के लिए प्रस्ताव का विरोध कर मौलाना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचा सकता है।
चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से आये इस बयान के कुछ ही घंटे बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि, जैश ए मोहम्मद व मौलाना मसूद अजहर को लेकर हमारे विचार सभी को पता है। जैश ए मोहम्मद संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंधित आतंकी संगठन है और अजहर पर भी यूएन का प्रतिबंध लागू होना चाहिए। जैश कई आतंकी वारदातों के लिए जिम्मेदार है और यह क्षेत्रीय शांति के लिए भी खतरा है। जहां तक चीन का सवाल है तो अमेरिका उसके साथ स्थायित्व व शांति के सामूहिक उद्देश्य के लिए साथ मिल कर काम कर रहा है और अजहर पर इस तरह का प्रतिबंध नहीं लगता है तो यह हमारे सामूहिक उद्देश्यों के खिलाफ होगा।
यूएन में जैश सरगना के मामले में अमेरिका का यह संभवत: अभी तक का सबसे कड़ा संदेश है। वैसे जानकारों की मानें तो अजहर पर उक्त प्रतिबंध लगने के बावजूद पाकिस्तान में आतंकवाद को लेकर जमीनी हालात में बहुत बदलाव नहीं आएगा। रणनीतिक मामलों के प्रमुख जानकार ब्रह्मा चेलानी का कहना है कि, ''अमेरिका ने हाफिज सईद पर वर्ष 2012 में प्रतिबंध लगवाया और उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम भी घोषित किया लेकिन अभी भी वह पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहा है और भारत में आतंकी हमले करवाने की साजिश रच रहा है।''