Wednesday, February 21, 2018

अब चांद की लय पर झूमेगी फसल, किसान बंधुओं के साथ अवश्य शेयर करें

साभार: जागरण समाचार 
कृषि वैज्ञानिकों ने ग्रह-नक्षत्रों की गति पर आधारित बायोडायनमिक खेती की पहल की है। इसके तहत शुक्ल पक्ष में बोआई और कृष्ण पक्ष में फसल की कटाई-मड़ाई को काफी लाभदायक पाया गया है। शुक्ल
पक्ष में चंद्रमा व पृथ्वी के बीच दूरी कम होने से हवा में नमी होती है। इससे बीज का अंकुरण तेजी से होता है। इस दौरान मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी काफी बढ़ जाती है। देश में बायोडायनमिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कृषि विभाग गांवों में पहुंच किसानों को इसका प्रशिक्षण दे रहा है। 
चांदनी रात में गोबर बनेगा अमृत: उपनिदेशक कृषि रक्षा विभाग शैलैंद्र कुमार ने बताया कि कृष्ण पक्ष में गाय के सींग (मृत गाय की देह से प्राप्त हुए) में दुधारू गाय का गोबर डालकर सींग का नुकीला भाग ऊपर रखते हुए इसे किसी छायादार व ऊंची जगह पर 25-30 सेमी गड्ढा बना छह माह के लिए गाड़ देना चाहिए। मसलन, सितंबर में गाड़कर मार्च में निकालें। उसके बाद इससे निकली खाद को मटके में रख लें। बोआई के दौरान इसका घोल बनाकर (250 ग्राम की मात्र 250 लीटर पानी में) छिड़काव करने से भूमि की उर्वरा शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। इसे बायोडायनमिक उत्प्रेरक कहते हैं। एक दूसरे फामरूले में गाय के सींग में सिलिका भरकर छह माह के लिए जमीन में गाड़ने से ग्रोथ हार्मोन्स पैदा हो जाते हैं। शुक्ल पक्ष में इस रसायन का पौधों पर छिड़काव करने से फसलें तेजी से बढ़ती हैं। 
पूर्णिमा से दो दिन पहले बरसता है अमृत: मेरठ का कृषि रक्षा विभाग भी किसानों को बायोडायनमिक खेती-बाड़ी का गणित बता रहा है। हापुड़ के अनवरपुर समेत मेरठ के दर्जनों गांवों में किसानों को इसका प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उत्तरप्रदेश कृषि एवं उद्यान विभाग ने अपनी वेबसाइट में बायोडायनमिक खेती के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई है। कृषि रक्षा विभाग के अनुसार, पूर्णिमा से दो दिन पहले बोआई के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है।
राशियों का विभिन्न मुख्य तत्वों से संबंध: 
प्रधान तत्व प्रभावित पौध भाग>>राशियां1पृथ्वी >>जड़ कन्या, मकर, वृष1जल >>पत्ती कर्क, वृश्चिक, मीन1वायु >>फूल मिथुन, तुला, कुंभ1अग्नि >>फल, बीज मेष, धनु, सिंह
हर महीने रखें ध्यान: हर महीने की एक तारीख को जिस पर चांद और शनि विपरीत दिशा में आते हैं, उसे कृषि कार्य के लिए सर्वश्रेष्ठ पाया गया है। वहीं, हर माह दो बार चंद्रमा पृथ्वी के पथ से गुजरते हुए सूर्य के पथ को काटता है, इसे राहु और केतु काल से जाना जाता है। ये दिन किसी भी कृषि कार्य हेतु उपयुक्त नहीं होते।
किसान चंद्रमा की गति के मुताबिक कैलेंडर बनाएं। शुक्ल पक्ष में बुआई और कृष्ण पक्ष में कटाई करें। कई अन्य ग्रह नक्षत्र भी उत्पादन को प्रभावित करते हैं। कीटनाशकों एवं खाद से मुक्ति पाने के लिए किसानों को चांद की गति पर आधारित खेती की सीख दी जा रही है। - शैलेंद्र कुमार, उपनिदेशक, कृषि रक्षा
मिला बढ़िया नतीजा: मैंने नक्षत्रों के आधार पर खेती शुरू कर दी है। शुक्ल पक्ष में बुआई का बढ़िया नतीजा दिख रहा है। -प्रीतम सिंह, किसान, बहादुरपुर