साभार: भास्कर समाचार
देशभर में परीक्षा का मौसम शुरू हो चुका है। इस समय विभिन्न प्रकाशक और स्टेशनरी बनाने वाली कंपनियां जितनी कमाई 8 महीने में नहीं करती उससे ज्यादा परीक्षा के सीजन में कर रही हैं। दिसंबर से लेकर मार्च तक
कुंजी, गाइड, सॉल्व्ड-अनसॉल्व्ड क्वेश्चन बैंक आदि तैयार करने वाले प्रकाशक 80 फीसदी से ज्यादा कारोबार इन महीनों में ही करते हैं। कंपनियां 50 फीसदी के करीब एजुकेशन स्टेशनरी का कारोबार भी इन चार महीनों में ही करती हैं। चित्रा प्रकाशन के निदेशक अजय रस्तोगी कहते हैं कि पढ़ाई के पैटर्न में बदलाव आ गया है, आज से 10 वर्ष पहले हमारे वर्षभर के कारोबार में टेक्स्ट बुक और गाइड की हिस्सेदारी 60% थी और क्वेश्चन बैंक की 40% रहती थी। लेकिन वर्तमान में क्वेश्चन बैंक की हिस्सेदारी बढ़कर 60% हो गई है। हमारे 80 फीसदी क्वेश्चन बैंक, सॉल्व्ड, अनसॉल्व्ड पेपर आदि इन्हीं चार महीनों में बिकते हैं।
परीक्षा के सीजन के दौरान एजुकेशन स्टेशनरी की डिमांड बढ़ जाती है। स्टेशनरी बनाने वाली प्रमुख कंपनी लक्सर राइटिंग इंस्ट्रूमेंट के वेस्ट जोन हेड विपिन बंसल व बिजनेस डवलपमेंट मैनेजर दिनेश अग्रवाल ने बताया कि सामान्य महीनों की तुलना में जनवरी से मार्च के दौरान डिमांड दो गुना हो जाती है। रजिस्टर/डायरी की डिमांड भी दोगुना बढ़ जाती है। सब अर्बन स्टेशनरी व्यापारी एसोसिएशन, मुंबई के अध्यक्ष भावेश मानेक बताते हैं कि जनवरी से मार्च के दौरान एग्जाम पैड की बिक्री 70 फीसदी, पेन की डिमांड 25 से 35 फीसदी बढ़ जाती है। वहीं विदर्भ पेन एंड स्टेशनरी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हरगोविंद मोरारका ने बताया कि परीक्षा सीजन में हमारी बिक्री सामान्य महीनों की तुलना में 30 से 40 फीसदी बढ़ जाती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि हमारे जो दुकानदार सामान्य महीनों में आठ से 10 लाख रुपए का कारोबार करते हैं वे दिसंबर से मार्च के परीक्षा सीजन में 10 से 15 लाख रुपए महीने का कारोबार कर लेते हैं। चित्रा प्रकाशन के अजय रस्तोगी ने बताया कि देश में हमारे जैसे करीब दो हजार प्रकाशक होंगे जो टैक्स्ट बुक, क्वेश्चन बैंक, गेस पेपर आदि प्रकाशित करते हैं। क्षेत्रीय प्रकाशकों के कारोबार का मुख्य आधार ही गेस पेपर या क्वेश्चन बैंक है। ये दो करोड़ रुपए से लेकर 100 करोड़ रुपए तक का व्यापार कर लेते हैं। क्वेश्चन बैंक आदि कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर और प्रकाशकों की संपादकीय टीम तैयार करती है।
फिक्की और नील्सन की के-12 बुक पब्लिशिंग; मार्केट रिपोर्ट 2016 के मुताबिक वर्ष 2014-15 में देश में स्कूल एज्युकेशन (नर्सरी से 12 तक) की पढ़ाई की किताबों का बाजार 22,170 करोड़ रुपए का था, वर्ष 2019-20 तक यह बाजार 54,190 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। वहीं नील्सन की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2014-15 तक उच्च शिक्षा की किताबों का बाजार 6,610 करोड़ रुपए का था।
श्याम गुडविन के पब्लिशर रमेश वशिष्ठ ने बताया कि दिल्ली में रिलाइबल, एस.चांद, आर्या बुक डिपो, जैसे कुल 32 पब्लिशर्स के बीच कॉम्पिटिशन है। सैंपल पेपर्स बेच रहे ज्यादातर पब्लिशर्स की सेल 15 से 20 लाख रुपए महज दिसंबर से फरवरी महीने के दौरान हो जाती है। अगर साल भर सेल ना भी हो तो ज्यादा परेशानी भी नहीं होती है। लेकिन परीक्षा के आखिरी महीनों में 70 फीसदी तक सेल हो जाती है। वहीं दिल्ली स्टेशनर्स असोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंदर कुमार गुप्ता बताते हैं कि स्कूल के स्टेशनरी आइटम्स - दिसंबर से मार्च के दौरान सबसे ज्यादा बिकती हैं। इनसे 3 करोड़ रुपए का कारोबार सिर्फ परीक्षा के करीब तीन महीनों में होता है। यह परीक्षा के आखिरी तीन से चार महीने में 65 फीसदी तक पहुंच जाता है।
छत्तीसगढ़ के प्रबोध एंड कंपनी के संचालक युग बोध अग्रवाल ने बताया कि परीक्षा बोध को गाइड या कुंजी कहना गलत है, यह एक तरह से किताब ही है। इसमे पिछले 10 साल के साल्व्ड पेपर रहते है, बोर्ड के ब्लू प्रिंट के अनुसार तैयार किए गए मॉडल पेपर रहते हैं। इसे ऐसे टीचर एक्सपर्ट की मदद से तैयार कराया जाता है। जो 20-20 साल से टीचर है। इस किताब में टॉपर की आंसरशीट भी रहती है जो बताती है कि टॉपर सवाल का जवाब कैसे देते है। इसके साथ ही पिछले साल के टॉपर का इंटरव्यू भी रहता है। इसलिए इसे गाइड कहना ठीक नही है।
फिक्की और नील्सन की के-12 बुक पब्लिशिंग; मार्केट रिपोर्ट 2016 के मुताबिक वर्ष 2014-15 में देश में स्कूल एज्युकेशन (नर्सरी से 12 तक) की पढ़ाई की किताबों का बाजार 22,170 करोड़ रुपए का था, वर्ष 2019-20 तक यह बाजार 54,190 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। वहीं नील्सन की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2014-15 तक उच्च शिक्षा की किताबों का बाजार 6,610 करोड़ रुपए का था।
श्याम गुडविन के पब्लिशर रमेश वशिष्ठ ने बताया कि दिल्ली में रिलाइबल, एस.चांद, आर्या बुक डिपो, जैसे कुल 32 पब्लिशर्स के बीच कॉम्पिटिशन है। सैंपल पेपर्स बेच रहे ज्यादातर पब्लिशर्स की सेल 15 से 20 लाख रुपए महज दिसंबर से फरवरी महीने के दौरान हो जाती है। अगर साल भर सेल ना भी हो तो ज्यादा परेशानी भी नहीं होती है। लेकिन परीक्षा के आखिरी महीनों में 70 फीसदी तक सेल हो जाती है। वहीं दिल्ली स्टेशनर्स असोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंदर कुमार गुप्ता बताते हैं कि स्कूल के स्टेशनरी आइटम्स - दिसंबर से मार्च के दौरान सबसे ज्यादा बिकती हैं। इनसे 3 करोड़ रुपए का कारोबार सिर्फ परीक्षा के करीब तीन महीनों में होता है। यह परीक्षा के आखिरी तीन से चार महीने में 65 फीसदी तक पहुंच जाता है।
छत्तीसगढ़ के प्रबोध एंड कंपनी के संचालक युग बोध अग्रवाल ने बताया कि परीक्षा बोध को गाइड या कुंजी कहना गलत है, यह एक तरह से किताब ही है। इसमे पिछले 10 साल के साल्व्ड पेपर रहते है, बोर्ड के ब्लू प्रिंट के अनुसार तैयार किए गए मॉडल पेपर रहते हैं। इसे ऐसे टीचर एक्सपर्ट की मदद से तैयार कराया जाता है। जो 20-20 साल से टीचर है। इस किताब में टॉपर की आंसरशीट भी रहती है जो बताती है कि टॉपर सवाल का जवाब कैसे देते है। इसके साथ ही पिछले साल के टॉपर का इंटरव्यू भी रहता है। इसलिए इसे गाइड कहना ठीक नही है।
ये है राज्यों में कारोबार की स्थिति:
- महाराष्ट्र - स्कूल स्टेशनरी का टर्नओवर करीब 600 करोड़ रुपए: मुंबई के सबअर्बन स्टेशनरी व्यापारी एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष केतन हारिया ने बताया, कम्पास बॉक्स, पेंसिल, बॉलपेन, इरेजर, पैड, ज्याॅमेट्री बाॅक्स जैसी स्कूल स्टेशनरी का सालाना टर्नओवर 500 से 600 करोड रु. का है। जून से जुलाई के अंत तक इन स्टेशनरी चीजों की मांग मे 40 फीसदी बढ़त दिखती है। बाद के 6-7 महीने यह बाजार ठंडा रहता है। परीक्षा के सीजन में फरवरी से अप्रैल तक इन स्टेशनरी की बिक्री में 20 फीसदी की बढ़त होती है।
- मध्यप्रदेश- 30% तक बढ़ जाती है स्टेशनरी की बिक्री: इंजीनियरिंग व अन्य सामान्य कोर्सेस की परीक्षा के दौरान 20 प्रश्न और शिवानी गाइड की बिक्री काफी बढ़ जाती है। अकेले भोपाल में ही करीब 40 हजार इंजीनियरिंग छात्र आठों सेमेस्टर के दौरान 15 करोड़ के आसपास शिवानी गाइड खरीद लेते हैं। वहीं सामान्य कोर्स जैसे बीए, बीएससी और बीकॉम के छात्रों में 20 प्रश्न जैसी कुंजी का प्रचलन अधिक है। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के दायरे में आने वाले आठ जिलों के काॅलेजों में अध्ययनरत करीब 1.30 लाख छात्रों में से भी ज्यादातर 20 प्रश्न ही खरीदते हैं। सभी सेमेस्टर की परीक्षाओं के दौरान इनकी कुल बिक्री का आंकड़ा 10 करोड़ के आसपास पहुंच जाता है। प्रतियोगी व प्रवेश परीक्षाओं के समय रबर, पेंसिल, पेन शार्पनर आदि की बिक्री आम दिनों की तुलना में 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
- गुजरात - 50 करोड़ रुपए की रफ कॉपियां होती हैं इस्तेमाल: परीक्षाओं से तीन-चार महीने में 350 करोड़ रु. की कुंजी और तमाम तरह के सॉल्व्ड-अनसॉल्व्ड पेपर बेचे जाते हैं। परीक्षाओं से पहले 50 से अधिक प्रकाशन, तीन से चार महीने पहले रफ कॉपी, रजिस्टर कॉपी, स्कूलों के पुस्तक आदि बेच कर 150 करोड़ का कारोबार कर लेते हैं। 10वीं-12वीं के विद्यार्थी 50 करोड़ रु. की कीमत की रफ कॉपी का इस्तेमाल कर लेते हैं। स्टेशनरी, पेंसिल, स्केच, पैन, कलर, ज्योमैट्री बॉक्स, इरेजर और शॉर्पनर आदि का 2000 करोड़ का व्यापार होता है। स्टेशनरी के व्यापार में 50% तक वृद्दि होती है।
- छत्तीसगढ़ - आर्ट्स की कुंजी, गाइड ज्यादा बिकती है: परीक्षा के इस सीजन में गाइड, कुंजी, 50-50 जैसी किताबें करीब 3 लाख छात्रों के अनुसार छपती है। एक अनुमान के अनुसार यहां गाइड का कारोबार करीब 4 करोड़ रुपए का है। बीए, बीकॉम और बीएससी समेत कॉलेज की पीजी की परीक्षा को लेकर कई गाइड बाजार में है। इनमंे अजय माला प्रमुख है। अजय प्रकाशन के संचालक विजय दानी ने बताया कि अन्य विषयों की तुलना में कॉलेजों में आर्ट्स की इन किताबों की ज्यादा डिमांड है। यहां परीक्षा के समय रफ कॉपियों की डिमांड तेजी से बढ़ती है।
- हरियाणा - दो महीने में 2 करोड़ की कॉपी-रजिस्टर-किताब: हरियाणा के सरकारी और निजी स्कूलों में करीब 45 लाख स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। परीक्षा से पहले के तीन-चार महीनों में यहां सॉल्व्ड पेपर, अनसॉल्व्ड पेपर, गाइड आदि का करीब साढ़े चार करोड़ रुपए का कारोबार है। जबकि कॉपी-रजिस्टर, किताबों का साल भर का कारोबार 10 करोड़ रुपए का है, जिसमें 2 करोड़ परीक्षा से पहले दो महीने में होता है। इसके अलावा स्टेशनरी के 4 करोड़ के कारोबार में परीक्षा से पहले के महीनों में करीब एक करोड़ रुपए का रहता है। हरियाणा में रोहतक और करनाल में कुछ प्रकाशक हैं। ज्यादातर सॉल्व्ड पेपर, गाइड दिल्ली और पंजाब के जालंधर से लाकर बिक्री की जा रही है। जबकि स्टेशनरी का अधिकांश सामान दिल्ली से हरियाणा आता है।