साभार: जागरण समाचार
आंतकियों को मदद देने के मामले में दुनियाभर में अलग-थलग पड़ते जा रहे पाकिस्तान की मुश्किल आने वाले दिनों में और बढ़ने वाली है। आतंकी फंडिंग रोक पाने में नाकाम रहने की वजह से उसको एक बार फिर
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) में निगरानी सूची में डालने का फैसला लिया गया है। समाचार एजेंसी रायटर ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। हालांकि, समाचार लिखे जाने तक इस संबंध में औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। एफएटीएफ की पेरिस बैठक में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस ने पाकिस्तान को एफएटीएफ की ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव का पारित होना पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए भारी धक्का होगा। इससे उसके लिए दूसरे देशों से कर्ज लेने या व्यापार करने में मुश्किल आएगी। यह बैठक पिछले तीन दिनों से चल रही है और अभी तक पाकिस्तान का मुद्दा सबसे ज्यादा चर्चित रहा है। पहले यह सूचना आई थी कि चीन के कड़े विरोध की वजह से पाकिस्तान को निगरानी सूची में डालने का मुद्दा फिलहाल टाल दिया गया है।
पाक के काम नहीं आया हाफिज पर कार्रवाई का दिखावा: एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में पाकिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और व्यक्तियों के वित्तीय लेन-देन पर रोक नहीं लगाने का दोषी बताया था। निगरानी सूची में डाले जाने से बचने के लिए पाकिस्तान ने एफएटीएफ की बैठक शुरू होने से ठीक पहले आतंकी हाफिज सईद और उसके संगठनों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी। सईद के संगठनों के लिए चंदा जुटाने पर पाबंदी लगाने का कानूनी प्रावधान किया गया था। इसके लिए पाकिस्तान ने अपने आतंकरोधी कानून में संशोधन किया था।