नाम - स्टेविया..
घरवालों ने यही नाम रखा था उस बच्ची का, जिसने 25 दिनों के भीतर ही अपनी आंखों से मां की ममता को मरते हुए देखा। पहली संतान थी वह, फिर भी ठुकरा दी गई। इसलिए नहीं कि बेटी थी, बल्कि इसलिए क्योंकि
घरवालों ने यही नाम रखा था उस बच्ची का, जिसने 25 दिनों के भीतर ही अपनी आंखों से मां की ममता को मरते हुए देखा। पहली संतान थी वह, फिर भी ठुकरा दी गई। इसलिए नहीं कि बेटी थी, बल्कि इसलिए क्योंकि
वह अपने बालपन की जुबां यानी रोकर-मुस्कुराकर कुछ कहना चाहती थी पर उसे क्या पता था कि नौ महीने कोख में रखने वाली मां ही उसकी किलकारियों का गला घोंट देगी। लेकिन, विडंबना देखिए कि 25 दिन बाद ऐसा ही हुआ। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार शाम करीब सात बजे मां नेहा तिवारी ने बच्ची को डलावघर में फेंका था। पुलिस ने जिस वक्त बच्ची को बरामद किया, उसकी सांसें चल रही थीं। एंबुलेंस में डाला गया तो बच्ची ने आंखें भी खोली, लेकिन उसके सिर में चोट की वजह से खून का थक्का जम चुका था। इसे हेमाटोमा कहते हैं। जीटीबी अस्पताल में उसके सिर का ऑपरेशन हुआ और आखिरकार सुबह साढ़े छह बजे उसने दम तोड़ दिया।
सौरभ और उनकी मां सदमे में, पड़ोसी भी सहमे: पड़ोसियों बताया कि सौरभ और नेहा की करीब दो साल पहले शादी हुई थी। इसके बाद दोनों यहां किराये के मकान में रहने लगे। नेहा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलतराम कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की थी। ऐसी पढ़ी-लिखी महिला इस तरह का कदम उठा सकती है, ऐसा न तो उसके परिवार और न ही पड़ोसियों ने कभी सोचा था। बेटी की मौत से सौरभ और उनकी मां सदमे में हैं। वह किसी से बात तक नहीं कर पा रहे हैं। सौरभ तो बस मूक होकर अपने वाट्सएप पर डीपी (डिस्प्ले पिक्चर) में स्टेविया को निहार रहे हैं। जांच में ऐसी कोई बात भी सामने नहीं आई कि वह नेहा अभी संतान नहीं चाहती थी या उसे बेटी पसंद नहीं थी। वह सिर्फ अपनी दिनचर्या खराब होने से परेशान हो गई थी।
नई दिल्ली में कल्याणपुरी के ईस्ट विनोद नगर के डलावघर में 25 दिन की दुधमुंही बच्ची को उसकी मां ने सिर्फ इसलिए मरने के लिए फेंक दिया, क्योंकि उसे नन्ही सी जान का रोना और रात में जागना गंवारा नहीं था। मां के इस कुकृत्य पर वह बच्ची अगर सवाल कर सकती तो यही पूछती कि क्या इतनी बुरी थी मैं मां?
बच्ची की मां शुक्रवार शाम डलावघर तक पहुंची और उसको वहां झटके से फेंक दिया। सिर में गंभीर चोटें आने के बाद बच्ची कूड़े के ढेर पर ही तड़पती रही। फिर अस्पताल में ऑपरेशन जैसी पीड़ा ङोली, लेकिन शनिवार सुबह सांसों ने दामन छोड़ दिया। उस मां की निर्दयता देखिए कि बच्ची को फेंककर उसके गुम होने का ड्रामा किया, लेकिन चालाकी पकड़ी गई। पुलिस ने आरोपित मां नेहा तिवारी (25) को गिरफ्तार कर लिया है।
मूलरूप से कानपुर निवासी गृहिणी नेहा पति सौरभ तिवारी के साथ ईस्ट विनोद नगर में रहती है। सौरभ ट्रेवल एजेंट हैं और घर से ही काम करते हैं। बच्ची की देखभाल के लिए सौरभ की मां भी कानपुर से दिल्ली आई थीं। सौरभ-नेहा की यह पहली संतान थी। शुक्रवार शाम सौरभ मां के साथ कहीं बाहर गए थे। शाम करीब 7:15 बजे लौटे तो दरवाजा बाहर से बंद था। तभी नेहा रोते हुए पहुंची और बच्ची नहीं मिलने की जानकारी दी। पुलिस तक मामला पहुंचा और जांच में करीब 7:48 बजे पुलिस को डलावघर में जख्मी हालत में बच्ची मिली। पुलिस ने उसे लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल पहुंचाया, जहां से जीटीबी अस्पताल रेफर कर दिया गया। वहां बच्ची के सिर का ऑपरेशन किया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका।
एक बच्चे के बयान पर गिरफ्त में आई मां: नेहा जब बच्ची को डलावघर में फेंक रही थी तो 13 साल का एक बच्चा सारा घटनाक्रम देख रहा था, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि बच्ची को फेंका जा रहा है। पुलिस को बच्चे ने सारी कहानी बता दी। उसने बताया कि लाल नाइटी पहनी महिला ने बच्ची को फेंका है। उसने हुलिया भी बताया। इसी आधार पर पुलिस ने नेहा को हिरासत में लिया। नेहा उस समय भी उसी कपड़े में थी। कड़ाई से पूछताछ में उसने जुर्म स्वीकार कर लिया। पुलिस ने पहले हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया, लेकिन बच्ची की मौत के बाद हत्या की धारा जोड़ दी गई।