साभार: जागरण समाचार
हरियाणा सरकार कमाई बढ़ाने का नायाब तरीका सोच रही है। वह खुद शराब की बिक्री करेगी। सरकार आबकारी नीति में बदलाव कर नए सत्र से ऐसा करने की तैयारी में है। इससे न केवल प्रदेश का खजाना बढ़ेगा,
बल्कि शराब तस्करों पर भी अंकुश लगाया जा सकेगा। अप्रैल से लागू होने वाली नई आबकारी नीति को फाइनल टच देने के लिए आबकारी एवं कराधान विभाग के अफसर जोर-शोर से जुटे हंै। फरवरी को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हो रही मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर मुहर लगेगी। राजस्व बढ़ाने के लिए महकमे ने प्रस्ताव दिया है कि राज्य सरकार खुद शराब बेचने के लिए एक निगम का गठन करे और तस्करी रोकने के लिए प्रिवेंटिव फोर्स भी बनाए। कराधान से आबकारी को अलग कर स्वतंत्र रूप से आबकारी निदेशालय या आबकारी आयुक्त बनाया जा सकता है। एक आइएएस अफसर इसका मुखिया होगा जिसके नीचे एचसीएस अफसरों के अलावा पूरी टीम होगी।
सिफारिश पर अमल हुआ तो एनसीआर के फरीदाबाद, गुरुग्राम और पलवल के लिए अलग से पॉलिसी बनाई जा सकती है। इन जिलों के शराब ठेकों से प्रदेश सरकार को सालाना दो हजार करोड़ का राजस्व मिलता है, जबकि पूरे हरियाणा से पांच हजार करोड़। निगम के माध्यम से सरकार शराब की बिक्री करे तो मुनाफे का बड़ा हिस्सा सरकारी खजाने में आएगा। इसके अलावा सूचना तकनीक का प्रयोग कर डिस्टलरी से उपभोक्ता तक शराब की मूवमेंट की ट्रैकिंग और ठेकों पर ई-बिलिंग व्यवस्था लागू कर तस्करी के तमाम रास्ते बंद हो जाएंगे।
दाम बढ़ाने के अलावा नहीं दूसरा कोई रास्ता: राजस्व में कमी की भरपाई के लिए सरकार को लाइसेंस और शराब के रेट बढ़ाने पड़ सकते हैं। वर्ष 2016 में 4900 करोड़ और वर्ष 2017 में 5500 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य तय किया गया था। पिछले साल देसी, अंग्रेजी, विदेशी शराब और बीयर के दामों में 12 से 15 फीसद की बढ़ोतरी हुई तथा आबकारी शुल्क में आठ प्रतिशत तथा वैट में पांच रुपये प्रूफ लीटर से 150 रुपये प्रूफ लीटर तक की बढ़ोतरी की गई थी।
विरोध करने वाली पंचायतों में नहीं खुलेंगे ठेके1जिन 198 ग्राम पंचायतों ने लिखित में सरकार से अपने यहां शराब ठेका नहीं खोलने का आग्रह किया है, वहां इस साल ठेके अलाट नहीं किए जाएंगे। हालांकि 302 ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव को आबकारी एवं कराधान विभाग ने नामंजूर कर दिया।विरोध करने वाली पंचायतों में नहीं खुलेंगे ठेके1जिन 198 ग्राम पंचायतों ने लिखित में सरकार से अपने यहां शराब ठेका नहीं खोलने का आग्रह किया है, वहां इस साल ठेके अलाट नहीं किए जाएंगे। हालांकि 302 ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव को आबकारी एवं कराधान विभाग ने नामंजूर कर दिया।