Sunday, February 18, 2018

राइटिंग मैनेजमेंट: सोचें भी कागज़ पर, लिखते हुए कभी ये न सोचें कि आपका पाठक कौन है

साभार: भास्कर समाचार
पढ़ने से व्यक्ति का चरित्र बनना शुरू होता है और लिखने से ये पूरा हो जाता है। जब आप पढ़ते हैं तो दरअसल किसी अौर का ज्ञान अपने तईं जज़्ब कर रहे होते हैं। औरों के तजुर्बों से बहुत सीखने को मिलता है। जो लगातार
पढ़ते रहते हैं, वे बहुत कुछ सीख चुके होते हैं और उनके व्यक्तिगत तजुर्बे भी उनके साथ होते हैं। यही मौका होता हैै, जब आप लिखना शुरू कर सकते हैं। लिखने से आप अपने विचारों के पीछे छिपे भाव जल्दी समझने लगते हैं। जीवन में सफलता पाने के लिए लिखना बहुत जरूरी है। जो भी काम आप करते हैं, लिख कर उसका एक रिकॉर्ड बना लेते हैं। लिखना रोज की आदत बना लेनी चाहिए। शुरुआत छोटे स्तर पर की जा सकती है। जैसे, रोज एक टू-डू लिस्ट बनाई जा सकती है या फिर डायरी लिखी जा सकती है। ज्यादातर ऑफिस में कर्मचारियों को लिखना और डॉक्यूमेंट करना नहीं सिखाया जाता है, जबकि ये जरूरी है। जब आप किसी मीटिंग के लिए जाते हैं तो हाथ में पेन और पैड भी होना चाहिए। मीटिंग में विस्तार से नोट्स बनाना आपके लिए हर तरह से फायदेमंद साबित होगा। मीटिंग खत्म होने तक लगभग हर पॉइंट आपके पेपर पर आ जाता है। जब भी कुछ सोचें तो पेपर पर ही सोचें। जो आइडिया आएं, उन्हें लिखते चले जाएं। लिखते हुए ये नहीं सोचना चाहिए कि आपका पाठक कौन है। आपको तब आश्चर्य होगा जब आप ही का लिखा कोई विचार किसी के द्वारा आगे बढ़ाया जाएगा।