साभार: जागरण समाचार
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार ने स्कूलों में रिक्त पड़े लैब सहायकों के पद को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सभी जिलों से हर स्कूल में तैनात स्टाफ और रिक्त पदों का ब्योरा तलब कर लिया गया
है। स्थायी नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू होने से वर्तमान में अनुबंध आधार पर सेवाएं दे रहे 2600 से अधिक लैब सहायकों के बाहर होने का खतरा मंडराने लगा है। शिक्षा निदेशालय ने राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी), जिला शिक्षा अधिकारियों व मौलिक शिक्षा अधिकारियों के साथ ही संबंधित संस्थाओं को लिखित आदेश जारी कर लैब सहायकों और सीनियर लैब सहायकों की पूरी रिपोर्ट मांगी है।
सभी डीईओ और डीईईओ को स्कूलवार कुल स्वीकृत पद, तैनात स्टाफ और रिक्त पदों की जानकारी मेल के जरिये दो दिन में देनी होगी। शिक्षा निदेशक की साफ हिदायत है कि निदेशालय को भेजी जाने वाली रिपोर्ट में कहीं कोई खामी न हो। क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा जिन लैब सहायकों को सरप्लस दिखाते हुए लिपिक के रूप में एडजस्ट किया था, उन्हें लैब सहायक ही दिखाया जाए। अगर निर्धारित समय में रिपोर्ट सरकार को नहीं मिली या तथ्य गलत निकले और हाईकोर्ट का फैसला खिलाफ आया तो पूरी जिम्मेदारी संबंधित अफसरों की होगी। ऐसी स्थिति में उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार ने मांगी स्कूलों में कुल पदों और तैनात स्टाफ की रिपोर्ट
नियुक्तियों पर हाईकोर्ट का स्टे: आठ माह के लंबे आंदोलन के बाद प्रदेश सरकार ने सितंबर 2015 में लैब सहायकों को मार्च 2016 तक नौकरी पर रखा था। साथ ही मार्च में 3336 पदों के लिए नई भर्ती जारी कर दी। नई भर्ती को हाई कोर्ट में चुनौती के बाद सरकार को अलग-अलग मौकों पर इन शिक्षकों का अनुबंध तीन-तीन माह के लिए बढ़ाना पड़ा। हाईकोर्ट का साफ निर्देश है कि नई नियुक्तियां होने तक ही अस्थायी लैब सहायकों की सेवाएं ली जाएं।
पिछले महीने बढ़ा था वेतन: करनाल में जबरदस्त प्रदर्शन के बाद पहली जनवरी से ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वर्ष 2013 में लगे इन लैब सहायकों को एक्सटेंशन देकर मानदेय में तीन हजार रुपये की बढ़ोतरी की थी। कंप्यूटर शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष बलराम धीमान ने कहा कि सभी लैब सहायक एक प्रोसेस के तहत लगाए गए थे। मेरिट के आधार पर ही इन्हें स्कूलों में लगाया गया। इसलिए इन्हें तुरंत प्रभाव से पक्का किया जाना चाहिए।