साभार: भास्कर समाचार
58 साल पहले 1960 में नासा ने महिलाओं को अंतरिक्ष में भेजने से ही मना कर दिया था। अब नासा ने ही कह दिया है कि चांद पर पैर रखने वाली 21वीं सदी की पहली अंतरिक्ष यात्री कोई महिला ही होगी। ये बात नासा के
जॉनसन स्पेस सेंटर की हेड एलेन ओशोआ ने कही है। अमेरिका 2019 में चांद पर मैन मिशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है। ये चांद पर इस सदी का पहला मैन मिशन होगा। इस पर बात करते हुए एलेन ने कहा कि हम (नासा) 2019 में ये मिशन लॉन्च करने को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। खास बात ये है कि कोई महिला ही चांद पर पैर रखने वाली सदी की पहली अंतरिक्ष यात्री बनेगी। इसका कारण है कि नासा में हर तीन में से एक अंतरिक्ष यात्री महिला ही है। हम अपने कार्यक्षेत्र से जेंडर गैप मिटाने की दिशा में काफी आगे निकल चुके हैं। इसलिए चांद पर जाने वाली टीम में महिला का होना तय है।' दरअसल जब से डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, चांद पर अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों को भेजना उनके प्रमुख एजेंडों में शामिल रहा है। नासा ने चांद पर मैन मिशन भेजने के लिए 2021 की डेडलाइन तय की थी। ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद इसे घटाकर 2019 किया गया। अब नासा इसी समय सीमा में प्रोजेक्ट लॉन्च करने की दिशा में काम कर रहा है। हालांकि ओशोआ ने ये साफ कर दिया कि समय और पैसा इस मिशन को पूरा करने में दो बड़ी चुनौतियां हैं। मिशन की शुरुआती लागत 32 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है। ओशोआ ने भी बताया कि बराक ओबामा की प्राथमिकताओं में मंगल मिशन रहता था। जबकि डोनाल्ड ट्रम्प चांद पर मैन मिशन को लेकर ज्यादा जोर देते रहे हैं। अब हम इस प्रोजेक्ट पर भी ध्यान दे रहे हैं।
इंसान ने सबसे पहले 1968 में अपोलो-8 मिशन के तहत चांद पर कदम रखा था। 21वीं सदी में अब तक एक बार भी कोई इंसान चांद पर नहीं गया है। अब इस मिशन पर केनेडी स्पेस सेंटर और जॉनसन स्पेस सेंटर की अगुवाई में तैयारी की जा रही है। केनेडी स्पेस सेंटर ने तो नए लॉन्च पैड बनवाने भी शुरू कर दिए हैं।
इससे पहले 1960 में नासा ने महिलाओं को अंतरिक्ष पर भेजने से ही साफ मना कर दिया था। नासा ने इस संबंध में बाकायदा एक पत्र भी जारी किया था, जिसमें महिलाओं को स्पेस सेंटर ट्रेनिंग के लिए उपयुक्त नहीं माना गया था। इस पर विवाद होने के बाद नासा ने 23 साल बाद 1983 में पहली बार किसी महिला को अंतरिक्ष में भेजा। सैली राइड अंतरिक्ष में जाने वाली नासा की पहली महिला बनी थीं। इसके बाद से नासा ने महिलाओं के प्रति अपनी नीतियों में लगातार सुधार किया। इसी का नतीजा रहा कि 2013 में नासा की 8 अंतरिक्षयात्रियों की कोर टीम में से 4 महिलाएं ही थीं। तब नासा अपनी स्पेस टीम में जेंडर अनुपात बराबर करने वाली दुनिया की पहली अंतरिक्ष एजेंसी बनी थी।