साभार: भास्कर समाचार
सरप्लस गेस्ट टीचर्स मामले में उच्चतम न्यायालय में जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने गेस्ट टीचर्स के विरोध को दरकिनार करते हुए पात्र अध्यापक बिजेंद्र कुमार को मामले की सुनवाई में हस्तक्षेप करने व सुप्रीम कोर्ट का
सहयोग करने की अनुमति प्रदान की। पात्र अध्यापक बिजेंद्र ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 3581 गेस्ट टीचर्स द्वारा दायर अपील में प्रतिवादी बनाने व स्टे हटाने की एप्लीकेशन दायर की थी। एप्लीकेशन पर सुनवाई के दौरान गेस्ट टीचर्स के अधिवक्ताओं ने याची की एप्लीकेशन का यह कह कर विरोध किया कि याची इस मामले में हाईकोर्ट में प्रतिवादी ही नहीं था तो ऐसे में इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यह भी बताया गया कि याची नियमित शिक्षक नियुक्त हो चुका है और इस मामले से उसका कोई सम्बन्ध नहीं है। जबकि याची बिजेंद्र की तरफ से पेश अधिवक्ताओं ने बहस करते हुए सुप्रीमकोर्ट को बताया कि सरप्लस गेस्ट टीचर्स द्वारा हाईकोर्ट में दायर विभिन्न याचिकाओं में से एक याचिका व हाईकोर्ट में 6 अलग-अलग दायर अपील में से एक अपील में याची प्रतिवादी था और सभी अपील हाईकोर्ट ने सामुहिक निर्णय देते हुए खारिज की थी, ऐसे में याची प्रतिवादी बनने का हकदार है। हाईकोर्ट ने भी याची को पक्षकार बना कर उसके पक्ष को सुना था और याची द्वारा पेश तथ्यों का संज्ञान लेने के बाद ही हाईकोर्ट ने यह कड़ी टिप्पणी की थी कि गेस्ट टीचर्स व सरकार को इस मामले में सन्देहास्पद बताया। जिसके चलते अनेक फैसलों के बाद भी गेस्ट टीचर्स लगातार सेवा में बने हुए हैं। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद बेंच ने कहा कि तथ्यों से यह बिल्कुल साफ है कि याची बिजेंद्र का पक्ष हाईकोर्ट ने सुना था जिसमें याची ने गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति व इनकी सेवा जारी रखने का विरोध किया था। सिर्फ इस बात पर कि याची इस अपील में हाईकोर्ट में प्रतिवादी नहीं था, इस मामले में उसको सुनने व अपना पक्ष रखने से नहीं रोका जा सकता क्योकि मामला गेस्ट टीचर्स को लगातार सेवा में रखने के बड़े सवाल व उसकी वैधता का है।