साभार: जागरण समाचार
राज्य में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए मनोहर सरकार अब कुछ सख्त कदम उठाने जा रही है। राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस करने वालों को पहले दो वषों तक ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देनी
होंगी। इसके लिए राज्य सरकार के अधिकारी नियम कायदों का खाका तैयार करने में जुट गए हैं ताकि ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। मौजूदा समय में राज्य में करीब 800 डॉक्टरों के पद रिक्त हैं और इतनी ही सीटें विभिन्न सरकारी मेडिकल कॉलेजों में है। ऐसे में माना जा रहा है कि यह नियम लागू होने पर प्रदेश में डॉक्टरों की कमी नहीं रहेगी। हालांकि राज्य सरकार की इस सोच के नियम कायदे बनने से पहले ही सवाल उठने शुरू हो गए हैं। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बृहस्पतिवार देर सायं दैनिक जागरण से बातचीत में स्पष्ट किया कि अभी तक राज्य में नए भर्ती सरकारी डॉक्टरों के लिए दो वषों तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देना अनिवार्य है। अब सरकार चाहती है कि राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से निकलने वाले डॉक्टर भी ग्रामीण क्षेत्रों में दो वर्ष तक अनिवार्य रूप से सेवाएं दें।