साभार: जागरण समाचार
सीबीएसई द्वारा आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2016 से मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए एकमात्र क्वालिफाइंग प्रवेश परीक्षा है। यह अखिल भारतीय स्तर पर एक
साथ आयोजित की जाती है। इससे पहले मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए सीपीएमटी और राज्यवार अलग-अलग पीएमटी परीक्षाएं होती थीं। नीट के बाद देशभर के गवर्नमेंट और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में इसी परीक्षा के आधार पर दाखिला दिया जाता है। सिर्फ एम्स तथा जेआइपीएमईआर जैसे मेडिकल संस्थानों में दाखिले नीट के आधार पर नहीं होते हैं। इसके लिए अलग से परीक्षाएं आयोजित होती हैं।
आवश्यक योग्यता: नीट में आवेदन करने के लिए न्यूनतम आयु 17 वर्ष होनी चाहिए। जो छात्र फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी/बायोटेक्नोलॉजी और इंग्लिश विषय में 50 फीसदी अंकों से 12वीं पास हैं या इस साल 12वीं बोर्ड का एग्जाम दे रहे हैं, इस प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं। आरक्षित वर्ग के कैंडिडेट के लिए 12वीं में 40 फीसदी अंक होना अनिवार्य है, जबकि दिव्यांग कैंडिडेट्स के लिए यह अंक सीमा 45 फीसदी है। चूंकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने इस बार नीट के लिए अधिकतम उम्र सीमा 25 वर्ष तय कर दी है, इसलिए अब 25 साल से अधिक आयु वाले कैंडिडेट यह परीक्षा नहीं दे सकते। हालांकि, एससी, एसटी, ओबीसी और दिव्यांगों के लिए यह उम्र सीमा 30 साल तक की तय की गई है।
आधार नंबर जरूरी: नीट-2018 में आवेदन के लिए आधार नंबर होना जरूरी है, यानी बिना इसके आप आवेदन नहीं कर सकते। हालांकि जम्मू-कश्मीर, असम और मेघालय के कैंडिडेट्स को इससे छूट दी गई है।
परीक्षा का स्वरूप: इस साल सभी के लिए नीट का एक ही प्रश्नपत्र होगा। सिलेबस में कोई बदलाव नहीं है। प्रश्नपत्र में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान विषयों से 180 बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाएंगे। यह प्रश्नपत्र तीन घंटे की अवधि का है। अगर विषयों के महत्वपूर्ण टॉपिक्स की बात करें, तो फिजिक्स विषय से मैकेनिक्स, ऑप्टिक्स, थर्मोडायनॉमिक्स और न्यूक्लियर फिजिक्स जैसे चैप्टर से ज्यादातर प्रश्न पूछे जाते हैं। केमिस्ट्री में मोल कॉन्सेप्ट, जनरल आर्गेनिक केमिस्ट्री, पीरियाडिक टेबल, केमिकल बॉन्डिंग, कोऑर्डिनेशन केमिस्ट्री तथा बायोलॉजी में इकोलॉजी ऐंड एनवॉयर्नमेंट, जेनेटिक्स, सेल बायोलॉजी, माफरेलॉजी, रिप्रोडक्शन ऐंड फिजियोलॉजी ऑफ प्लांट्स ऐंड एनिमल्स तथा बेसिक्स ऑफ बायोटेक्नोलॉजी आदि से काफी प्रश्न आते हैं।
काउंसलिंग से चयन: नीट में चयन के लिए रिजल्ट आने के बाद काउंसलिंग होती है। इसके लिए सबसे पहले सभी सफल अभ्यर्थियों की ऑल इंडिया रैकिंग के आधार पर एक ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है। फिर इसी मेरिट लिस्ट के आधार पर एमबीबीएस और बीडीएस की उपलब्ध सीटों पर सफल उम्मीदवारों को दाखिला दिया जाता है। यह काउंसलिंग ऑनलाइन होती है।
सिलेबस पर बनाएं मजबूत पकड़: नीट की तैयारी के लिए सबसे पहले तो पेपर के सिलेबस की अच्छी तरह जानकारी हासिल करें। फिर पढ़ाई के लिए एक टाइम टेबल बनाएं। कोशिश करें कि तैयारी के लिए जितना भी समय दें, उतने में पूरा सिलेबस परीक्षा से पहले कम से कम एक बार जरूर कम्पलीट हो जाए। इसके बाद महत्वपूर्ण सेक्शंस का चैप्टरवाइज बारी-बारी मॉक टेस्ट दें। कोशिश करें कि कम से कम पिछले दो साल के प्रश्नपत्रों का अभ्यास एक बार जरूर कर लें। इससे आपको प्रश्नों के पैटर्न का अंदाजा हो जाएगा।
नीट से टैलेंटेड स्टूडेंट्स के लिए बढ़े मौके: मेडिकल फील्ड में टैलेंटेड युवाओं के लिए अब ज्यादा मौके हैं। एंट्रेंस में अब डोनेशन का भी कोई रोल नहीं रहा। नीट आने के बाद डोनेशन, ब्लैक मनी सब खत्म हो गया है। केवल मेडिकल सीटों का वितरण ठीक नहीं है, क्योंकि उत्तर भारत की तुलना में ज्यादातर मेडिकल कॉलेजेज साउथ में हैं। अगर हर एरिया में बराबर मेडिकल कॉलेज हो जाएं, तो यह समस्या भी खत्म हो जाएगी। बाहर के कॉलेजों (नेपाल, बांग्लादेश, चीन) का स्टैंडर्ड भी इंडिया के बराबर नहीं है। इसीलिए बाहर से आने वाले यहां एग्जाम ही नहीं पास कर पाते, क्योंकि वहां का स्टैंडर्ड लो है। बहरहाल, अपने यहां क्वॉलिटी चेकिंग की आवश्यकता है। क्योंकि अभी कोई ऐसा पैरामीटर नहीं है, जिससे यह जाना जा सके कि कोई डॉक्टर योग्य है या नहीं। इसलिए कि कंपीटेंसी बेस्ड अभी कोई एग्जाम नहीं है हमारे देश में। सारे एग्जाम थ्योरेटिकल हैं। ऐसे में अगर चाहते हैं कि टैलेंटेड यूथ को और मौका मिले, तो इसके लिए रिसर्च में फंड लगाने की जरूरत है।