महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर मध्यस्थता करते हुए आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने रविवार को मामले के समाधान का दावा किया। इसके तहत महिला-पुरुष दोनों को ही कुछ दूरी से पवित्र चबूतरे का दर्शन करने की अनुमति होगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। आध्यात्मिक गुरु ने काशी विश्वनाथ और तिरुपति
बालाजी मंदिर में दर्शन की व्यवस्था का प्रस्ताव रखा। श्री श्री रविशंकर ने कहा यह सहमति बनी कि न तो पुरुष न ही महिला को शनि मंदिर के चबूतरे पर चढ़ने दिया जाए। चबूतरे पर लगातार तेल चढाया जाता है इससे वहां फिसलने का डर रहता है। पुणो के निकट बालेवाड़ी में एक प्रेस कान्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि इस विवादित मुद्दे का समाधान हो गया है। लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा। सभी को प्रार्थना का समान अधिकार होगा। बैठक में मौजूद मंदिर के ट्रस्टियों ने तिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन मॉडल पर आधारित श्री श्री के फामरूले पर सहमति जताई।
तो महिलाओं को भी बनाएं पुजारी: भूमाता ब्रिगेड आंदोलन का नेतृत्व कर रही तृप्ति देसाई ने कहा कि यदि चबूतरे पर किसी को नहीं चढ़ने दिया जाएगा तो मूर्ति की पूजा करने वाले पुजारियों में महिलाओं को भी शामिल करना होगा। तृप्ति ही महिलाओं को मंदिर में चबूतरे पर जाने देने की मांग कर रही हैं। उन्होंने कहा कि भूमाता ब्रिगेड कार्यकर्ताओं को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और श्री श्री रविशंकर की मौजूदगी में चबूतरे पर अंतिम पूजा करने का अवसर मिलना चाहिए। श्री श्री ने कहा कि ऐसा नहीं है कि यदि आपने कुछ दूरी से दर्शन किए तो आपको भगवान की कृपा नहीं मिलेगी। उनके अनुसार महिला और पुरुष दोनों को तीन फीट दूर से दर्शन की अनुमति होगी।
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साभार: जागरण समाचार
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