2002 में चौटाला शासनकाल में नियुक्त 65 एचसीएस अधिकारियों की भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एम जयपाल व जस्टिस राजमोहन सिंह की बैंच ने मामले की अगली तारीख पर हाईकोर्ट अधिकारियों व हरियाणा लोक सेवा आयोग को उन दो बॉक्स जिसमें इस भर्ती से जुड़ा रिकॉर्ड है
(इस समय हाईकोर्ट के पास है) को कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।
करीब छह जज सुनवाई से कर चुके मना: हाईकोर्ट में यह मामला लगभग 14 साल से विचाराधीन है। अब तक लगभग आधा दर्जन जज मामले की सुनवाई से अपने आप को निजी कारणों से अलग कर चुके हैं। इतना ही नहीं सुनवाई की धीमी गति के कारण सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राजू राम चंद्रन ने भी मामले की पैरवी करने से मना करते हुए खुद को अलग कर लिया था।
2002 में दायर की थी याचिका: कांग्रेस नेता करण सिंह दलाल ने 2002 में इस भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी। अप्रैल 2013 में इस मामले पर तत्कालिक चीफ जस्टिस ए के सिकरी व जस्टिस आर के जैन पर आधारित खंडपीठ ने मामले पर सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला रिजर्व कर लिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के कारण चीफ जस्टिस सिकरी ने फैसला नहीं सुनाया। अलग-अलग बैंच ने इस मामले को नियमित सुनने के आदेश तो जारी किए, लेकिन कभी रोस्टर के बदलाव व कभी जज के सुनवाई से हटने के कारण केस में कोई विशेष प्रगति नहीं हो पाई।
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साभार: जागरण समाचार
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