साभार: जागरण समाचार
करतारपुर कारीडोर पर पाकिस्तान के साथ पहली बातचीत में भारत ने खालिस्तान से जुड़े मुद्दों पर अपना पक्ष जोरदार तरीके से रख दिया है, लेकिन वह पड़ोसी देश की नीयत भी बखूबी समझता है। लिहाजा करतारपुर
कारीडोर खुलने के साथ ही वह उन देशों के साथ भी कूटनीतिक संपर्क बनाने में जुटा है जहां से रह रह कर खालिस्तान समर्थक आवाजें उठती रहती हैं। भारत इन देशों को अभी से यह ताकीद करना चाहता है कि करतारपुर साहिब जाने वाले उनके नागरिकों पर भी नजर रखी जानी चाहिए कि वे कहीं भारत में पृथकतावादी तत्वों को मजबूत तो नहीं कर रहे हैं।
भारत इस बात पर खासा सर्तक है कि ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका स्थित एक खालिस्तान समर्थक संस्थान ने इस वर्ष करतारपुर में ही पृथक खालिस्तान की मांग में एक बड़ी बैठक आयोजित करने की योजना बना रहा है।
सूत्रों के मुताबिक दुनिया की कई राजधानियों में खालिस्तान को लेकर भारत की तरफ से बेहद सख्त कूटनीतिक संकेत दिया जा रहा है। यह साफ तौर पर बताया जा रहा है कि यह सोच सिर्फ विदेश में रह रहे सिख समुदाय के कुछ गिने चुने लोगों की है। भारत का सिख समुदाय इससे कोई इत्तेफाक नहीं रखता। यह कुछ ऐसा ही है जैसे भारत का सिख समुदाय मेरीलैंड (अमेरिका) में सिखों के लिए एक अलग स्वतंत्र देश बनाने की मंशा रखे।
भारतीय कूटनीतिक सतर्कता की वजह से ही जनवरी, 2019 में खालिस्तान समर्थकों की मुहिम को वाशिंगटन में असफल किया गया था। करतारपुर कारीडोर इस वर्ष के अंत तक शुरु होगा, ऐसे में भारत और ज्यादा सतर्क रहने की नीति पर चलेगा।
भारत की सतर्कता के पीछे खालिस्तान समर्थक सिख फॉर जस्टिम (एसएफजे) नाम की एजेंसी की तरफ से की गई यह घोषणा है कि वह नवंबर, 2019 में गुरु पर्व के अवसर पर करतारपुर में खालिस्तान के समर्थन में जनमत संग्रह कराने की मुहिम की शुरुआत करेगा। तब तक करतारपुर कारीडोर भी खुल जाएगा और सिख गुरु बाबा नानक सिंह की 550 वीं जन्म दिवस होने की वजह से इस साल भारी संख्या में सिख श्रद्धालुओं के वहां जमा होने की संभावना है।
एसएफजे मुख्य तौर पर ब्रिटेन और कनाडा से अपनी गतिविधियों को संचालित करता है। वैसे तो यह अपने आपको मानवाधिकार संस्थान बताता है लेकिन इसने वर्ष 2020 में भारत में खालिस्तान देश के नाम पर जनमत संग्रह कराने का अभियान शुरु किया हुआ है।
गुरुवार को अटारी मे करतारपुर कारीडोर पर पाकिस्तान के साथ हुई पहली बातचीत में भारत ने इस बात को बेहद गंभीरता से रखा है कि इसका इस्तेमाल किसी भी तरह की भारत विरोधी गतिविधियों में नहीं होनी चाहिए।