Sunday, July 2, 2017

भारत भी सीखे कुछ: ब्रिटेन में आतंकी हमले रोकने को बनेगी 'डिजिटल आर्मी'

ब्रिटिश सरकार देश में वाहनों के जरिए हो रहे आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए प्रसिद्ध इमारतों, महत्वपूर्ण पुलों के आसपास उच्च स्तरीय डिजिटल सुरक्षाबल लगाने की योजना बना रही है। 'द टाइम्स' की खबर के
मुताबिक ब्रिटेन का परिवहन विभाग यहां हाल ही में वैन और कार की मदद से लोगों को कुचलने वाले आतंकवादी हमले को रोकने के लिए इंटरनेट की उच्च स्तरीय तकनीक विकसित करने पर काम कर रहा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। लंदन में इस साल अब तक इस तरह के 3 हमले हुए हैं जिसमें इस साल मार्च में संसद पर हुआ हमला भी शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन 'जियो फेन्सिंग' प्रणाली वाली तकनीक विकसित करने का इच्छुक है। इसकी मदद से उपग्रहों का इस्तेमाल करते हुए कुछ विशेष जगहों पर इलेक्ट्रॉनिक सीमा तैयार की जाएगी। इसकी मदद से सुरक्षा एजेंसी अपने कंप्यूटर की मदद से अनधिकृत वाहन को विशेष इलाकों में जाने से रोक सकेंगे। परिवहन विभाग ने इसकी भी पुष्टि की है कि सरकार तकनीक का इस्तेमाल करके वाहनों का इस्तेमाल हथियार के रूप में होने से रोकने के लिए विकल्प तलाश रही है। परिवहन विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि सरकार के सभी विभाग पुलिस और सुरक्षा सेवाओं के साथ मिलकर वाहनों को हथियार के रूप में हो रहे इस्तेमाल को रोकने के रास्ते तलाश रहे हैं। 
ब्रिटेन में बन रही टेक्नोलॉजी, हाईजैक होते ही बंद हो जाएगा कार का इंजन: यूरोपीय देशों में बढ़ रहे आतंकी हमले के मामलों को देखते हुए सिर्फ सरकारें सजग हुई हैं बल्कि निजी क्षेत्र भी मामले से निपटने में योगदान दे रहा है। ब्रिटेन की एक कंपनी टेलीमैटिक्स के इस्तेमाल से ऐसी टेक्नोलॉजी बना रही है, जिसमें हाईजैक होने के बाद कार या लॉरी का इंजन काम करना बंद कर देगा। इसके लिए वाहनों में ब्लैक बॉक्स जैसी डिवाइस लगाई जाएगी। ट्रैक ग्लोबल ग्रुप नामक यह कंपनी ड्राइवर के आईडी को ब्लैक बॉक्स से जोड़गी। ऐसा वाहन के मालिक के स्मार्टफोन के जरिए किया जाएगा। एक अलग सिस्टम वाहन हाईजैक होने के बाद इमर्जेंसी सिर्वसेज को अलर्ट भी भेजेगा। ट्रैक ग्लोबल के डायरेक्टर एंड्रयू ब्राउन-एलेन ने बताया-अब दूर से ही किसी वाहन का इंजन बंद करना संभव होगा। हम इस नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर आंतकी हमला के मामलों में कमी ला सकते हैं। अातंकी ज्यादा से ज्यादा लोगों को निशाना बनाने के लिए वाहनों को अपना हथियार बनाते हैं। 
स्वीडन में पहले से हो रहा है टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल: स्वीडन में पहले से जियो फेन्सिंग टेक्नोलाॅजी का इस्तेमाल हो रहा है। इस साल स्टॉकहोम में हुए हमले के बाद वहां की सरकार ने इस टेक्नोलॉजी को अपनाया है। अप्रैल में भीड़भाड़ वाले इलाके में एक ट्रक से फुटपाथ पर चल रहे कुचल दिया गया था। इस हमले में चार लोगों की मौत हो गई थी। स्कानिया और वोल्वो जैसी गाड़ी बनाने वाली कंपनियां भी इस टेक्नोलॉजी के परीक्षण में हिस्सा ले रही हैं। स्वीडन की सरकार ने कहा है कि जियो फेन्सिंग टेक्नोलॉजी ऐसा सॉल्यूशन मुहैया कराती है, जिसमें सिर्फ अधिकृत वाहन ही निर्धारित इलाके में चलाए जा सकते हैं।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.