भ्रष्टाचारमुक्त शासन का वादा कर सत्ता में आई भाजपा की मनोहर सरकार ने अपने एक हजार दिन पूरे कर लिए हैं। इस दौरान मनोहर लाल खट्टर को जहां अनुभवहीनता के आरोपों का सामना करना पड़ा वहीं अपने ही
असंतुष्ट विधायकों के विरोध को भी झेलना पड़ा। किसान अभी भी सरकार से संतुष्ट नहीं है और कर्मचारी आंदोलनरत है। आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और उसके बाद भाईचारे में आई खटास अभी तक जनमानस के मस्तिष्क पर बनी हुई है। खट्टर सरकार में अफसरशाही हावी होने की अवधारणा अभी तक खत्म नहीं हो पाई है। भ्रष्टाचार पर लगातार कार्रवाई की बात कहने वाली सरकार बड़े मामलों में आज भी चुप्पी साधे है। ग्वाल पहाड़ी, जाट आंदोलन में संलिप्त अफसरों पर कार्रवाई, वाड्रा लैंड डील जैसे मामले जांच तक सिमट कर रहे गए हैं। हालांकि अपने शासन के करीब पौने तीन साल में सीएम मनोहर लाल ने खुद की ईमानदार और बेदाग होने की छवि को बरकरार रखा है। उपलब्धियों को लेकर भले ही भाजपा संगठन और सरकार अपने आप में संतुष्ट हों, लेकिन विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए कई वायदे अभी भी ऐसे अधूरे हैं, जिनका जिक्र आते ही भाजपाइयों को बगलें झांकने पर मजबूर होना पड़ता है। इनमें कर्मचारियों को पंजाब के बराबर वेतनमान, रिटायरमेंट एज बढ़ाकर 60 साल, समान काम के लिए समान वेतन, किसानों को एसवाईएल और हांसी-बुटाना नहर में पंजाब से अपने हिस्से का पानी, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करना आदि शामिल है।
कई जांच, रिपोर्टें ठंडे बस्ते में: भाजपा सरकार लगातार करप्शन पर जीरो टॉलरेंस के दावे कर रही है। लेकिन हकीकत कुछ और ही। गुरु ग्राम के ग्वाल पहाड़ी समेत जमीनों से जुड़े मामलों की जांच का मामला अभी तक लटका है, जबकि सीएम मनोहर लाल ने खुद विधानसभा में इसकी जांच का आश्वासन दिया था। आरक्षण आंदोलन में अफसरों की भमिका जांचने के बाद प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में चली गई। जो अफसर संदेह के दायरे में थे बहाल हो गए। जमीन का सीएलयू एवं लाइसेंस देने में हुई गड़बडिय़ों को लेकर आई जस्टिस एस.एन. ढींगरा आयोग की रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में है। वैट रिफंड से जुड़े 10618 करोड़ रुपए के घोटाले में लोकायुक्त को अभी तक एक्शन-टेकन रिपोर्ट का इंतजार है। पिछली सरकार में हुए पिलर बॉक्स घोटाले की जांच रिपोर्ट पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। बिजली मीटर खरीद, पंचायतों में डस्टबिन खरीद में गड़बड़ी के मामले दबा दिए गए। इसी तरह आईपीएस अधिकारी, मंत्रियों और विधायक तक काफी मशक्कत के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं करवा पाए। जीरो एफआईआर के नाम पर डीडीआर ही लिखी जाती है।
फैसले जिन पर सरकार खुश है:
- हरियाणा गौ-वंश संरक्षण एवं गौ संवर्धन अधिनियम-2015 लागू करना।
- इसमें गौ हत्या पर 10 साल कारावास और एक लाख जुर्माने का प्रावधान।
- प्रदेश में पहली बार पढ़ी-लिखी पंचायतों का चुनाव।
- राज्य में 18 से 70 साल तक की आयु वाले सभी नागरिकों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का लाभ।
- बदरपुर-मुजेसर मेट्रो रेल सेवा की शुरुआत।
- रेवाड़ी से रोहतक के बीच पहली सीएनजी आधारित डीईएमयू रेल सेवा शुरू।
- मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना में सभी जरूरी दवाओं के साथ-साथ 73 तरह की जांच, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, ईसीजी और 231 तरह के ऑपरेशन नि:शुल्क।
- हरियाणा 1 अप्रैल, 2017 से केरोसिन मुक्त।
- उज्जवला योजना में 3 लाख गरीब परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन।
- जिला मुख्यालय और उप मंडल स्तर पर महिला थानों की शुरुआत। कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कीं।
- खराब फसलों के लिए अधिकतम मुआवजा राशि 12000 रुपए प्रति एकड़।
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साभार: भास्कर समाचार
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