2009 के नियमानुसार पीएचडी या नेट की योग्यता के बगैर सरकारी कॉलेजों में अनुबंध के आधार पर लगे एक्सटेंशन लेक्चरर्स पर गाज गिर सकती है। उच्चतर शिक्षा विभाग ने सख्त निर्देश जारी किए कि कॉलेज में
यूजीसी के नियमानुसार निर्धारित योग्यता नहीं रखने वाले अभ्यर्थियों को बतौर एक्सटेंशन लेक्चरर्स नहीं लगाया जाएगा। जबकि योग्य उम्मीदवार भी वर्कलोड के आधार पर नियुक्त होंगे। सभी कॉलेज प्राचार्यों को निर्देश जारी कर दिए हैं। इससे कॉलेजों में अनुबंध पर कार्यरत करीब 1100 शिक्षक इस पद के अयोग्य हो जाएंगे। इन्हें कॉलेजों से हटाए जाने की तैयारी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। गवर्नमेंट कॉलेजों में कहीं 50 फीसदी तो कहीं पर केवल 25 से 30 प्रतिशत ही रेगुलर फैकल्टी है। इनमें किसी को 5 साल हो चुके है, तो कोई दो वर्षों से कार्यरत है। लेकिन अब रेवाड़ी से ऐसे करीब 45, नारनौल-महेंद्रगढ़ के 70, भिवानी के 65, रोहतक के 50 समेत अन्य सभी जिलों में 40 से 80 लेक्चरर्स हटेंगे। सत्र 2017-18 की शुरुआत में ही विभाग द्वारा नॉन-एलिजिबल एक्सटेंशन लेक्चरर्स को हटाए जाने के निर्देश से कॉलेजों में शैक्षणिक व्यवस्था पूरी तरह प्रभावित होगी। हरियाणा राजकीय कॉलेज एक्सटेंशन लेक्चरर एसोसिएशन ने विभाग के इन निर्देशों का विरोध किया है। राज्य प्रधान ईश्वर सिंह ने कहा कि लेक्चरर पिछले कई सालों से कॉलेजों में कार्यरत हैं। विभाग उन्हें हटाने की बजाए योग्यता पूरी करने के लिए दो-तीन साल का समय दें या फिर एडजस्टमेंट पॉलिसी बनाकर उन्हें नौकरी पर रखा जाए। एसोसिएशन कोर कमेटी जल्द ही सरकार विभाग अधिकारियों से मिलकर अपनी मांग उठाएंगी।
महानिदेशकने मीटिंग में दिए निर्देश: चंडीगढ़ में शनिवार को विभाग महानिदेशक ए. श्रीनिवास ने अधिकारियों प्रदेश के विभिन्न कॉलेज प्राचार्यों के साथ मीटिंग की। इसमें बताया कि कॉलेजों में अनुबंध पर लगे नॉन-एलिजिबल लेक्चरर्स की नियुक्ति नहीं होगी। अगले सप्ताह से कॉलेजों में वर्कलोड की जांच की जाएगी। उसके बाद ही योग्यता पूरी करने वालों को एक्सटेंशन पर लगाया जाएगा।
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साभार: भास्कर समाचार
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