Sunday, July 23, 2017

गोला-बारूद पर कैग रिपोर्ट आंखें खोलने वाली; देशहित में छापना जरूरी, ताकि सरकार कदम उठाए

भारतीय सेना के पास गोला-बारूद की कमी से जुड़ी रिपोर्ट देश के नियंत्रक एवं महालेख परीक्षक (कैग) ने शुक्रवार को संसद में रखी थी। यह संवैधानिक संस्था सरकारी महकमों का ऑडिट कर नियमित रूप से संसद में
रिपोर्ट पेश करती है। दो साल पहले मई 2015 में सौंपी रिपोर्ट में भी कैग ने सेना के पास गोला-बारूद की कमी का मुद्दा उठाया था। फॉलोअप आॅडिट में भी कैग ने पाया कि हालात बहुत ज्यादा नहीं सुधरे हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यह स्थिति बहुत गंभीर है। मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा है। आंखें खोलने वाली यह रिपोर्ट इसलिए दैनिक भास्कर ने प्रमुखता से छापी ताकि देशभर में चर्चा छिड़े और गोला-बारूद सप्लाई करने वाली सरकारी एजेंसियां कमी पूरी करने की दिशा में चुस्ती दिखाएं। इससे जुड़े सभी पक्षों को चेताना जरूरी है। इस ज्वलंत मुद्दे पर आने वाले दिनों में संसद में भी चर्चा संभव है। वैसे, कैग रिपोर्ट कोई गोपनीय दस्तावेज नहीं है। संसद में पेश करने के साथ ही यह रिपोर्ट कैग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध करवा दी गई थी। कोई भी इसे वहां से देख और डाउनलोड कर सकता है। 
हालांकि, रक्षा विशेषज्ञ सुनील देशपांडे ने कहा कि कैग रिपोर्ट थोड़ी पुरानी सूरत पेश करती है। अभी गोला-बारूद की कमी से निपटने के लिए सरकार ने उप सेना प्रमुख को वित्तीय शक्तियां दे दी हैं। कमी दूर करने की दिशा में सरकार काम कर रही है। इसे लेकर चिंता की कोई जरूरत नहीं है। 
वहीं, एक अन्य रक्षा विशेषज्ञ शिवली देशपांडे कहती हैं कि एम्युनिशन बनाकर स्टोर नहीं कर सकते हैं। जरूरत होती है तो प्रोडक्शन बढ़ाते रहते हैं। हालांकि, कैग ने सही कहा है कि हमें प्रोडक्शन तेज करना चाहिए। इसे देखते हुए उप सेना प्रमुख को वित्तीय शक्तियां दी गई हैं, ताकि वह सुनिश्चित करेें कि जब भी जरूरत हो गोला-बारूद खरीदा जा सके। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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