Wednesday, July 26, 2017

इंजीनियरिंग कॉलेज देख रहे छात्रों की राह: छह राउंड की काउंसलिंग के बावजूद 16 फीसदी सीटें खाली

आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपल आईटी और सरकारी सहायता प्राप्त इंजीनियरिंग संस्थानों में छह राउंड की काउंसिलिंग के बाद भी करीब छह हजार सीटें खाली हैं। यह पिछले साल की तुलना में 90 फीसदी तक ज्यादा है। आश्चर्य यह है कि शीर्ष संस्थानों की लोकप्रिय स्ट्रीम्स में भी सीटें भर नहीं पाई हैं।  
लगातार लंबी हो रही है काउंसलिंग की प्रक्रिया, 2015 में हुई थी चार राउंड: देशभर के आईआईटी, एनआईटी,
आईआईआईटी और सरकारी सहायता प्राप्त इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है। फिलहाल काउंसिलिंग प्रक्रिया का 7वां राउंड चल रहा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पिछली बार काउंसिलिंग की प्रक्रिया सिर्फ 6 बार ही आयोजित की गई थी। इन संस्थानों में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया की लंबाई लगातार बढ़ रही है। 2015 में सिर्फ 4 राउंड की काउंसिलिंग आयोजित की गई थी। इसका कारण यह है कि इस बार 6 राउंड की काउसिलिंग के बाद भी इन संस्थानों में 5 हजार 915 सीटें खाली हैं। ये कुल सीटों का करीब 16.33 फीसदी है। गौरतलब है जोसा पोर्टल (जॉइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी) के माध्यम से कुल 36 हजार 208 सीटों पर प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है।
लोकप्रिय स्ट्रीम की सीटें भी नहीं भरीं: छात्रों को पसंदीदा स्ट्रीम में से एक कंप्यूटर साइंस एंड टेक्नोलॉजी में विभिन्न अाईआईटी संस्थानों में 26 सीटें खाली हैं। विशेषकर नए आईआईटी संस्थानों जैसे कि इंदौर, पटना, गोआ, जम्मू, धारवाड़ और जोधपुर में कंप्यूटर साइंस एंड टेक्नोलॉजी ब्रांच की सीटें खाली हैं। पुराने आईआईटी संस्थानों में भी लोकप्रिय ब्रांच की सीटें नहीं भरी हैं। कई अाईआईटी संस्थानों मंे इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की 56 सीटें खाली हैं। आईआईटी दिल्ली में ही केमिकल इंजीनियरिंग की 10 सीटें 7वें राउंड की काउंसिलिंग की शुरुआत में खाली थीं। वहीं आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी दिल्ली में सिविल इंजीनियरिंग, एरोस्पेस इंजीनियरिंग जैसी स्ट्रीम में भी सीटें खाली रह गई हैं। 
पिछले वर्ष की अपेक्षा 90% ज्यादा सीटें खाली: पिछले वर्ष 6 राउंड की काउंसिलिंग के बाद आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईटी और सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों में तकरीबन 3,100 सीटें खाली रह गईं थीं। इसमें से 73 सीटें आईआईटी संस्थानों में खाली थीं। आईआईटी संस्थाना में वाराणसी में सबसे ज्यादा 38 सीटें खाली थीं। वहीं एनआईटी संस्थानों में 1518 और सरकारी सहायता प्राप्त इंजीनियरिंग संस्थानों मंे 1174 सीटें खाली थीं। इस बार 6 राउंड की काउंसिलिंग के बाद खाली सीटों की संख्या पिछले वर्ष की अपेक्षा 90 फीसदी तक ज्यादा है, जो चिंताजनक है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अब जब कि इस बार 7वें राउंड की काउंसिलिंग भी आयोजित की गई है, तो देखना यह है कि यह अंतिम राउंड होगा या इसके बाद भी काउंसिलिंग की प्रक्रिया जारी रहेगी। 
स्ट्रीम की बजाय संस्थानों को वरीयता: 6 राउंड की काउंसिलिंग के बाद इस बार ओपन कैटेगरी की सीटें भी खाली हैं। हालांकि इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं है। एक्सपर्ट के अनुसार इसके अलग-अलग कारण हो सकते हैं। कुछ का मानना है कि कई छात्र फिलहाल कोर्स की बजाय संस्थानों को वरीयता दे रहे हैं। यही कारण है कि लोकप्रिय स्ट्रीम होने के बावजूद नए संस्थानों में सीटें खाली हैं। हालांकि कुछ छात्रों को पसंदीदा स्ट्रीम मिलना भी एक कारण हो सकता है। 
अब कोर्स खत्म करने पर विचार: आईआईटी और अन्य शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में खाली सीटों की समस्या के चलते ही कॉमन काउंसिलिंग की शुरुआत 2015 में हुई थी। पिछले वर्ष आईआईटी और एनआईटी संस्थानों ने सीटें खाली रह जाने के बाद कम लोकप्रिय कोर्सेस को खत्म करने की अनुशंसा की थी। इसके लिए इस वर्ष जनवरी में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया गया था। देखना यह होगा कि अब लोकप्रिय स्ट्रीम में भी सीटें खाली रहने के बाद मंत्रालय और संस्थान आगे की क्या योजना बनाते हैं। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.