Friday, July 28, 2017

मैनेजमेंट: नए आइडिया को देखिए और अपने भी बनाइए

एन. रघुरामन (मैनेजमेंटगुरु)
स्टोरी 1: जुलाई के दूसरे हफ्ते में एक परिचित ने मेरे मुंबई वाले घर में पहले से तय लंच कार्यक्रम रद्‌द करने का अनुरोध किया। मैंने जब कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें बेटे को लेकर एक अन्य बच्चे के यहां उसके
10वें जन्मदिन की पार्टी में जाना है। मैं थोड़ा कनफ्यूज था, क्योंकि लंच दोपहर 12 बजे था और आम तौर पर बर्थडे पार्टी शाम को हुआ करती है। लेकिन उन्होंने जो जानकारी मुझे दी वो यूनिक थी और काफी रचनात्मक भी। डॉ. वैदेही मकवाना का बेटा बर्थ डे बॉय शौर्य और अनू इत्तेफाक से साइकिल के दीवाने हैं, इसलिए उन्होंने संजय गांधी नेशनल पार्क में बर्थडे सेलिब्रेशन के लिए साइकलिंग सेशन रखा था। पार्टी सुबह 7.30 पर शुरू होनी थी। करीब 40 बच्चे पेरेंट्स के साथ पार्टी में शामिल होने वाले थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े पति-पत्नी ने नोटिस किया था कि बेटे की बर्थडे पार्टी के दौरान बहुत सारे बच्चे सिर्फ उनके गैजेट्स से जुड़ जाते हैं और बच्चों की रोजमर्रा की दिनचर्या में भी शारीरिक गतिविधियां नाटकीय ढ़ंग से कम हो गई हैं। वे लगातार गेम में लगे रहते हैं, या तो अपने कंप्यूटर पर या हैंडसेट पर। इससे उन्हें सेहत संबंधी कई समस्याएं हो रही हैं। जिन बच्चों के पास साइकिल नहीं थी उनके लिए उन्होंने किराए पर साइकिल ली थी। इस तरह उन्होंने बच्चे का बर्थडे प्रकृति की गोद में मनाने का एक नया आइडिया आगे बढ़ाया था। किसी मॉल में बर्थडे मनाने के स्थान पर यह एनवायर्नमेंट फ्रेंडली तरीका है। 
स्टोरी 2: इस महीने के तीसरे सप्ताह में मुझे पता चला कि मेरे दिल्ली के एक दोस्त अपनेे पेट का बर्थडे एक कैफे में मना रहे हैं, जो विशेष रूप से सिर्फ पेट और उनके मालिकों के लिए ही बना है। यह अपने आप में विशेष बिज़नेस है। पप्पीचीनों नाम का यह कैफे विशेष रूप से सिर्फ डॉग्स को समर्पित है। यह दिल्ली के समृद्ध इलाके शाहपूर जाट में है। इस अपमार्केट स्थान पर ऐसी कोई जगह नहीं थी, जहां अमीर परिवार अपने सबसे प्रिय सदस्य चार पैरों वाले पेट के साथ पार्टी कर सकें। इसकी मालिक नयानी टंडन ने महसूस किया कि अपना पहला पेट लाने के बाद उनकी सोशल लाइफ एक तरह से खत्म हो गई है। इसलिए उन्होंने सभी पेट लवर्स के लिए सोशल लाइफ तैयार करने के बारे में सोचा। हाल ही में उन्होंने इस पर अमल किया है और कुछ ही महीनों में यहां 400 सेलिब्रेशन हो चुके हैं। रेस्तरां दो भागों में बंटा है- प्ले और डाइनिंग। डाइनिंग एरिया में डॉग्स टेबल पर खड़े होकर भी खा सकते हैं! 
स्टोरी 3: मेरे एक मित्र पुणे शिफ्ट हुए हैं, क्योंकि उनके दोनों बच्चे अटेन्शन डिफिसिट हाइपरएक्टिव डिसआॅर्डर (एबीएचडी) से पीड़ित हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि एडीएचडी के मामले में पुणे उन्हें मुंबई से बेहतर लगा। उन्हें यहां ऐसे जानवर मिले जो थैरेपी देने वाले डॉक्टर हैं! एनिमल एंजल फाउंडेशन की मिनल कविश्वर ऐसे बच्चों को थैरेपी देने वाले पेट्स को रेफर करती हैं। इन प्राणियों को इंसान की काउंसलिंग सिखाई गई है, जो किसी को-थेरेेपिस्ट से कम नहीं होते। 
वागोली क्षेत्र में पुणे एक्वेस्ट्रियन्स में एक टट्‌टू है, जो एडीएचडी से पीड़ित बच्चों की काउंसलिंग करता है। बाल कल्याण संस्था में एक खरगोश को डिसेबल बच्चों की काउंसलिंग के लिए रखा गया है। पशु अनुभूति के प्रति मनोवैज्ञानिकों, न्यूरोलॉजिस्ट में समान सम्मोहन है। पुणे में पशु चार पैरों वाले थैरिपिस्ट बन गए हैं। इसे देश के सबसे ज्यादा पशु प्रेमी स्थान के रूप में भी पहचाना जाता है। एनिमल एंजल फांउडेशन का गोल्डन रिट्राइवर (घने बालों वाली कुत्ते की प्रजाति) स्कॉटी किसी हीरो से कम नहीं है और उसके होर्डिंग भी लगे हैं। यहीं पर एक बिल्ली है कुकी, वो भी इस तरह के कामों के लिए प्रसिद्ध है। 
फंडा यह है कि यह आधुनिक युग अलग-अलग आइडियाज़ से भरा है। यह नए और रचनात्मक विचारों को प्रेरित करता है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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