Friday, July 28, 2017

चीन की कंपनियों के खिलाफ कोई आदेश नहीं : सुषमा स्वराज

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की बीजिंग में अपने समकक्ष यांग जिशी से मुलाकात से मौजूदा सीमा विवाद का हल निकलने के आसार बने हैं। दूसरी तरफ भारत ने घरेलू मोर्चे से भी संयमित मगर
दृढ़ कूटनीतिक संकेत दिए हैं। मौजूदा सीमा विवाद की वजह से चीन की कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की चर्चा को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा है कि चीन की कंपनियों के साथ भेदभाव करने की सरकार की कोई नीति नहीं है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। भारत ने चीन को कूटनीतिक भाषा में यह समझाने की कोशिश की है कि मौजूदा सीमा विवाद के साथ ही हर तनाव भरे मुद्दे का वह आपसी सहमति व बातचीत से समाधान निकालने को तैयार है। भारत यह कतई नहीं चाहेगा कि अभी जो छोटे छोटे विवाद हैं वे आगे चल कर किसी बड़े संकट का कारण बने। भारत-चीन रिश्तों पर राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान स्वराज ने कहा कि भारत ‘एक चीन’ की नीति को मानता है लेकिन हम यह भी कहते हैं कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने अस्ताना में जून, 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बनी सहमति का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि दोनों नेता यह मानते हैं कि मौजूदा वैश्विक उथल पुथल के दौर में भारत व चीन स्थायित्व का कारण बन रहे हैं। सनद रहे कि जून, 2017 के दूसरे हफ्ते से भूटान-सिक्किम सीमा पर डोकलाम क्षेत्र में भारत व चीन के सैनिक एक दूसरे के सामने डटे हुए हैं। चीन का कहना है कि भारत ने उसकी जमीन में घुसपैठ की है इसलिए उसे पहले वापस जाना होगा तभी वार्ता होगी। भारत का कहना है चीन ने वर्ष 2012 में बनी सहमति का उल्लंघन करते हुए भूटान के साथ जुड़ी जमीन पर सड़क बनाने की कोशिश की है।
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साभार: जागरण समाचार 
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